यदि सफलता की सीढ़ियाँ देह से ही होकर जाती हैं तो क्या यह माना जाए कि सफल पुरुष लेखक समलैंगिक हैं ? या यह कि कुछ लेखक जिनकी बॉस महिला हैं उन्हें सफलता के लिए समलैंगिक होने की आवश्यकता नहीं है । घुघूती बासूती
आनंद जी और घुघुती बासूती जी। आप दोनों अपनी जगह ठीक हैं क्योंकि इस बहस में शामिल किसी भी साथी ने अभी तक यह नहीं कहा है कि सफलता सिर्फ देह के रास्ते से होकर जाती है। यह कुछ लोंगों की बात है। इसमें पुरूष भी हैं और महिलाएं भी। इनकी संख्या बेशक ज्यादा नहीं फिर भी एक सजग समाज में इसे चिंता की दृष्टि से जरूर देखा जाना चाहिए।
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यदि सफलता की सीढ़ियाँ देह से ही होकर जाती हैं तो क्या यह माना जाए कि सफल पुरुष लेखक समलैंगिक हैं ? या यह कि कुछ लेखक जिनकी बॉस महिला हैं उन्हें सफलता के लिए समलैंगिक होने की आवश्यकता नहीं है ।
घुघूती बासूती
आनंद जी और घुघुती बासूती जी। आप दोनों अपनी जगह ठीक हैं क्योंकि इस बहस में शामिल किसी भी साथी ने अभी तक यह नहीं कहा है कि सफलता सिर्फ देह के रास्ते से होकर जाती है। यह कुछ लोंगों की बात है। इसमें पुरूष भी हैं और महिलाएं भी। इनकी संख्या बेशक ज्यादा नहीं फिर भी एक सजग समाज में इसे चिंता की दृष्टि से जरूर देखा जाना चाहिए।
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