विनोद के मुसान
बाघों को बचाने के लिए हमारे पड़ोसी देश चीन ने पहली बार भारत के साथ कदम मिलाने की पहल की है। इसके तहत चीन ने बाघों के अंगों की तस्करी रोकने के लिए कड़े फरमान जारी किए हैं। माना जा रहा है कि चीन के इस कदम से बाघों के संरक्षण में बड़ी मदद मिलेगी।
ऐसा पहली बार हुआ कि चीन के राज्य वन्य प्रशासन ने बाघों के प्रजनन की सुविधाओं में सुधार करने पर भी खास जोर दिया है। दरअसल भारत का आरोप है कि चीन में बाघों के अवैध प्रजनन की वजह से उनके अंगों की तस्करी बढ़ती है। चीन के इस कदम को सकारात्मक दृष्टिï से देखा जाना चाहिए। चीन के बाघों के अंगों के अवैध कारोबार पर रोक लगाने और दिशा-निर्देश जारी करने के बाद इस दिशा में जरूर कामयाबी मिलेगी।
इस साल चीन में बाघ वर्ष मनाया जा रहा है। हालांकि चीन ने इस आरोप को खारिज किया है। सरकार बाघों के संरक्षण के लिए कई कदम उठा रही है। चीन की इस पहल से भारत को बाघों के संरक्षण में खास मदद मिलने की उम्मीद जगी है।
देश में बाघों की हालत पर
- 2008 की गणना के अनसार देश में बाघों की संख्या 1411
- पिछले सात साल में 60 फीसदी संख्या घटी
- पूरे देश में 38 प्रोजेक्ट टाइगर अभयारण्य हैं
- 17 अभयारण्यों की हालत खराब
- 832 बाघों का शिकार 1994 से 2007 के बीच
- 59 बाघ मारे गए 2009 में, 15 का शिकार
3 comments:
हम क्या पूरी तरह नाकारा हो चुके हैं क्या ?
चीन की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में बाघों के अंगों का खुलकर उपयोग होता है। पुरुषत्व बढाने वाली दवाओं मे बाघ की हड्डीयों का प्रयोग आम है। चीन ने बाघों की तस्करी पर नियंत्रण का जो फ़ैसला किया है उससे इस वन्य प्राणी की संख्या में वृद्धि हो सकेगी। भारत को भी इस मामले में चीन का अनुसरण् करना चाहिये।
"चीन बेहद खतरनाक मुल्क है उस पर यकीन तो करना ही नहीं चाहिये, जबकि सब्कों मालूम है कि बाघों की हड्डियों एसा कोई भी विलक्षण तत्व नहीं पाया जाता...."
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