देहरादून से योगेश भट्ïट
सात साल पहले शुरू की गई एक पहल आज पूरे विश्व पर्यावरण के लिए नजीर बन गई है। पर्यावरण को बचाने की इस मुहिम को सलाम।
इस बार अगर आप बदरीनाथ धाम आएं, तो यहां बद्रीश एकता वन जरूर जाएं। यह वन देश ही नहीं विश्व भर के लिए पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है। आप एक पौधा लगाकर आस्था और पर्यावरण के समागम में भागीदारी कर सकेंगे। चाहे आप देश के किसी भी कोने से आए हों, इस वन में अपने प्रदेश के लिए स्थान पहले से तय मिलेगा। इसी आरक्षित स्थान पर आप अपने पूर्वजों, प्रियजनों या फिर यात्रा स्मृति में पौधा रोपकर बदरीधाम से रिश्तों की डोर जोड़ सकेंगे। आपके 'पौधे ’ की देखरेख का जिम्मा प्रदेश का वन विभाग उठाएगा।
सात साल पहले 2002 में की गई यह पहल अब अपने यौवन रूप में नजर आने लगी है। बदरीनाथ में माणा और बामणी गांव के सहयोग से देवदर्शनी के पास 9 हेक्टेअर भूमि पर इस योजना को आकार दिया गया है। यहां 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भूमि आरक्षित कर 'लघु भारत ’ का स्वरूप दिया गया है। फिलहाल इस वन में चार प्रजातियों की वंश वृद्धि हो रही हैं। इसमेें भोजपत्र, कैल, देवदार और जमनोई शामिल हैं। अभी तक 700 से अधिक वृक्ष तैयार हो चुके हैं।
अब तक योजना का प्रचार-प्रसार नहीं था, लेकिन आम लोगों के रुझान को देखते हुए इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। इसी माह शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान इस बद्रीश एकता वन का प्रचार करनेे की तैयारी है। प्रदेश सरकार भी विभिन्न मौकों पर इसका खास प्रचार कर रही है। प्रमुख वन संरक्षक डा. आरबीएस रावत इस योजना को लेकर खासे उत्साहित हैं। उनके अनुसार वन विभाग पर्यावरण संरक्षण की इस योजना पर पूरा फोकस है। योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है।
साभार-अमर उजाला
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