Tuesday, 10 August 2010

गरम दूध है, उगला भी नहीं जाता, निगला भी नहीं जाता

विनोद के मुसान
राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के संबंध में मीडिया में आ रही नकारात्मक खबरों के बाद शायद मेरी तरह प्रत्येक भारतीय दुविधा में होगा। गरम दूध है, उगले या निकले। बात सिर्फ एक आयोजन भर की नहीं है। देश के सम्मान की है। देश की भ्रष्ट राजनीति और अफसरशाही ने एक महा आयोजन से पूर्व देश के सम्मान को चौराहे पर ला खड़ा किया है।
कुछ दिन पूर्व तक प्रत्येक भारतीय का सीना इस आयोजन पर गर्व से फूला जा रहा था, वहीं पूरा विश्व हमारी ओर सम्मान से देख रहा था। लेकिन जैसे-जैसे इस महा आयोजन से जुड़ी भ्रष्टाचार की खबरें छनकर बाहर आ रही हैं, मन में कोफ्त हो रही है। अफसोस हो रहा है इस बात का कि पूरी दुनिया हमारे देश के बारे में क्या सोचेगी। घर की बात होती तो घर में दबा दी जाती। जैसा कि अक्सर होता आया है देश में तमाम घोटाले हुए, कई विवादों ने जन्म लिया और यहीं दफन हो गए।
खेलों से पहले जो ‘खेल’ खुलकर सामने आ गए हैं, उसके बाद किसी भी भारतीय का उत्तेजित होना लाजमी है, लेकिन खेल का दूसरा पहलू यह भी यह ये खेल हमारे आंगन में हो रहे हैं। इनके सफल आयोजन की जिम्मेदारी भी हमारी है। नहीं तो देश-दुनिया में जिस शर्मिंदगी को झेलना होगा, वह इससे कहीं बड़ी होगी। मेरा मानना है मीडिया को भी इस मामले में थोड़ा संयम बरतना होगा। आखिर बात अपने घर में आई बारात की है। खेल सकुशल निपट जाएं, उसके बाद चुन-चुनकर इस भ्रष्टाचारियों को चौराहे पर जूते मारेंगे, जिन्होंने देश केसम्मान तक को दाव पर लगा दिया।

2 comments:

Pawan Kumar Sharma said...

sahi kaha dost

Rohit Singh said...

बारात तो निपट जाएगी। बाराती भी मग्न होकर नाचेंगे। भई वो भी जानते हैं कि देरी करना तो हमारी फितरत है। तभी तो ऑस्ट्रेलिया के एक कोच कह चुके हैं कि घबराइए नहीं, ये भारत हैं। यहां अंतिम समय तक काम चलता रहता है। पर अंत में शानदार आय़ोजन होता है। यही कहना है लंदन से आए एक कोच का भी। खेलगांव देखकर उस बेचारे के मुंह से निकल गया यार ये तो लंदन में होने वाले ओलंपिक से भी कहीं ज्यादा शानदार हैं। बीजिंग ओलंपिक में तो ये सुविधाएं नजर ही नहीं आई। तो भई बारात का स्वागत तो शानदार होना ही है। सब आज से ही इसपर लगे हैं। चिंता कम ही होगी। हां उसके बाद ......जाने क्या होगा रामा रे?