अलीगढ़ मुश्लिम विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति डा.अब्दुल कलाम सैकड़ों बच्चों से रू-ब-रू हुए। इस दौरान बच्चों को सपना दिखाते हुए उन्होंने कहा कि हमेशा महान बनने की सोचो। लक्ष्य तय करो, दिक्कतों को अपने ऊपर कभी हावी मत होने दो, बल्कि उस पर शासन करो। खुद की सफलता का श्रेय शिक्षकों को देते हुए मिसाइल मैन के कहा कि मैं आज अपने शिक्षकों की बदौलत ही यहां तक पहुंचा हूं। भगवान करे सबको अच्छा शिक्षक मिले।
डा.कलाम की इस दुआ में कहीं न कहीं यह उनका यह दर्द भी छिपा है कि आज सबको अच्छे शिक्षक नहीं मिल रहे। आर्थिक उदारीकरण के इस दौर में शिक्षा का भी व्यापारीकरण गंभीर चिंता का विषय है। स्कूल से कालेज तक पब्लिक से टर का झंडा बुलंद था ही, अब तो देश भर में निजी विश्वविद्यालय भी खुलने लगे हैं। पैसे के खेल ने शिक्षा को पूरी तरह व्यापार बना दिया है। बच्चे नर्सरी से ही अंग्रेजी शिक्षा पा रहे हैं, लेकिन नैतिक शिक्षा के लिए अब सिलेबस में कोई जगह नहीं है। जो शिक्षा थोपी जा रही है, उसके स्तर का पता इस बात से चल सकता है कि बच्चे अंग्रेजी की किताबें तो धड़ल्ले से पढ़ लेते हैं, लेकिन ग्रामर से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में फिलहाल हम भी यही दुआ करें कि भगवान करे सबको अच्छा शिक्षक मिले।
Wednesday 18 June, 2008
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