Tuesday, 24 June 2008

ऐ भाई जरा सोचो तो

.......... ऐ भाई जरा सोचो तो आज इतनी तेज रफ्तार जिन्दगी में हर वक्त बस कल की चिंता में डूबे रहते है। आज के बारे में सोचने बेठै तो भी कल की चिंता सताने लगती है की कल कैसा होगा कल किया होगा। इस चक्कर में लोग पंडितो और तांत्रिको के दरवाज़े पर दस्तक देने वालो की भीड़ बढ़ती जा रही है। अपनी जेब ढ़ीली कर लोग उन को माला माल कर रहे है। जरा भाई एक पल के लिए मेरी बात पर गौर तो फरमाएं की किस के दहलीज पर आप माथा टेकने जा रहे है। अगर वो कल के बारे में जानते तो किया अपना कल ना सवार पाते। क्यों ये दुकानदारी खोल कर लोगों की आंखों पर पट्टी बांधने का काम करते। लेकिन आप तो अपना कल ख़ुद ही खराब कर रहे हैं । इन की जेब भर कर। ये मैं इस लिए बता रही हूं। आज मेरे पास कुछ इस तरह का मामला आया तांत्रिको के चक्कर में पड़ कर एक आदमी ने अपनी पूंजी तो गवां दी साथ में अपना जीवन भी तबाह कर लिया। रोज अखवारो के पन्नो पर एक आध ऐसी खबर पढ़ने को मिल ही जाती है जिस में तांत्रिक के चक्कर में लड़के या लड़की की बलि दे दी। लेकिन फिर भी हम पढ़े लिखे लोग आंखों पर पट्टी बांध कर उन के दरवाजों पर पहुंच जाते है। एक तरफ तो हम सब कहते रहते हैं हम पढ़े लिखे हैं, लेकिन दूसरी तरफ़ अनपढ़ लोगों की तरह इन की बातों पर बिश्वास कर आंखे बंद कर लेते हैं। पता नही कब हम लोग गहरी नींद से जग पायेंगे और कब तक हम इन के चक्कर मै अपनी जमा पूंजी को बर्बाद करते रहेंगे। उस पल का इंतजार मुझ को तो हैं। अगर आप को हैं तो ख़ुद से शुरूआत करेँ। क्योंकि एक-एक जुड़ कर ही काफिला तैयार होगा और हम नया सवेरा ला पांएंगें।

2 comments:

bambam bihari said...

आपने शुरूआत कर दी है तो हम भी कर ही लेंगे।

Unknown said...

अच्छा लिखा है।