दूसरे लोगों की तरह मैं भी सानिया मिर्जा का बहुत बड़ा फैन हूं। टेनिस के बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं जानता, लेकिन इस खेल में पहली बार किसी भारतीय महिला खिलाड़ी ने इतनी ऊंचाई छुइंर् तो वह सानिया ही थी। सानिया की इस कामयाबी के लिए मेरा और सौ कराे़ड भारतीयों का सलाम। लेकिन, एक समय था जब हम हर दिन सानिया केचढ़ते सूरज का देख रहे थे, जबकि पिछले कुछ समय से हैदराबादी बाला लगातार खराब फार्म से जूझ रही है। तमाम विवादों केबाद भी हम सानिया के साथ थे। योंकि हम जानते हैं कि चढ़ते सूरज को देखकर जहां कुछ लोग उसे सलाम करते हैं, वहीं कुछ लोगों के लिए उसकी तेज रोशनी आंख की किरकिरी का कारण भी बन जाती है। खैर ये तो हुई कल की बात।
आज सुबह उठते ही अमर उजाला के ताजा अंक में (26जुलाई) एक समाचार पड़ा। मुख पृष्ठ पर 'सानिया की कोच बन जाएंगी मम्मी` नामक शीर्षक समाचार पढ़कर दुख हुआ। अटपटे से लगने वाले इस शीर्षक का सार यह है कि 12 दिन बाद बीजिंग में शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में भारतीय दल की सूची में कई महत्वपूर्ण व्यि तयों का नाम काटकर सानिया की मम्मी का नाम उनके कोच के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जो सरासर गलत और सानिया की आइडल छवी को धूमिल करने वाला है। जब-जब सानिया के साथ विवाद जु़डे, कुछ कट् रपंथियों को छाे़ड हर भारतीय ने सानिया का साथ दिया। फिर चाहे टेनिस कोट में छोटे कपड़े पहनकर उतरने की बात हो या किसी विज्ञापन की शूटिंग के दौरान खड़ा हुआ बवाल। लेकिन, ताजे विवाद में कम से कम मैं सानिया के साथ नहीं हूं। इस शीर्षक में छिपे सार के बाद विवाद उठना लाजमी है। विवाद केबाद हो सकता है, सूची से सानिया की मम्मी का नाम कट जाए। लेकिन, मुझे हैरत है उन लोगों की सोच पर, जो उच्च पदों पर बैठकर भी ऐसे हास्यास्पद फैसले लेते हैं। या वे लोग जनता को मूर्ख समझते हैं। देश केयुवाआें की प्रेरणा बनी सानिया, या नहीं जानती कि यह गलत है। अगर नहीं जानती तो मैं यही कहना चाहूंगा, सानिया व त केसाथ तुम्हारी उम्र और शोहरत तो बढ़ी है, लेकिन अब तुम्हारी सोच छोटी हो गई।
तमाम शिकवोंं केबाद भी एक भारतीय होने के नाते मैं सानिया को शुभकामनाएं देना चाहूंगा। वह बीजिंग जाए (उसकी मम्मी भी बीजिंग जाए, लेकिन अपना टिकट खरीद कर) और देश केलिए गोल्ड मेडल जीतकर लाए। ताकि मेरी सोच की तरह वह सौ कराे़ड भारतीयों से गर्व से कह सके सानिया डूबते सूरज का नाम नहीं।
Sunday, 27 July 2008
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