Friday, 1 August 2008

मेरा नाम लिख देना

आइए जनाब, पानी पी ली लीजिए। वैसे कौन से समचार पत्र से है आप। मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा, जब से इश्मीत की मौत के बारे में सुना है, दिल बैठा जा रहा है। मेरा नाम जरूर डाल दीजिएगा खबर में, मैं जहां ए पास वाला ही घर है मेरा। क्या बताऊ इश्मीत को मैने अपनी गोद में खेलाया है, बड़ा दुख है। पानी नहीं उतर रहा मेरे गले से। कौन सा पेपर बताया आप ने मेरे नाम के साथ इतना जरूर लिख देना कि मै फलाने बैंक में अफसर हूं। हां तो जनाव आप ने पानी नही पिया। कब आएगी खबर कल तो पक्का न। इश्मीत बहुत प्यारा बच्चा था। इतने में दूसरी तरफ एक सज्जन की अवाज कानों में टकराती है कि वो फलाना न्यूजपेपर संभाल लेना, हां वो दूसरे पन्ने की तीसरी फोटों में मैं दिखाई दे रहा हूं। हां-हां आज भी काफी चैनल और अख्बारों वाले है यहां, इसलिए मैं अंदर ही हूं। कल भी मेरी फोटो आएगी अख्बारों में। सच में ऐसे लोगों की बातों से लगा ही नहीं यह किसी सम्मेलन का हिस्सा बनने आए हैं या फिर उसके लिए शोक जताने, जो अब इस दुनिया में नहीं है। अंदर जो सज्जन सब से ज्यादा दुखी दिखाई दे रहे थे, जिन की आंखों में (मगरमछ के आंसू कहूं तो कुछ गलत नहीं होगा) मोटे मोटे आंसूं गिर रहे थे., वह बस इस लिए वहां है कि कल अख्बारों और चैनलों में उनकी तस्वीरें चमकेंगी। समझ नहीं आता कि क्या लोग जिस घर का चिराग बुझ गया उसको दिलासा दे रहे है या फिर लाश पर भी रोटियां सेक रहे है। लगता है कि इन के लिए किसी का होना न होना कोई मायने नही रखता , बस उन को मौका चाहिए कि मीडिया में खुद को कैसे चमकाया जाए। आज इश्मीत की मौत पर बड़े-बड़े प्रेसनोट बना कर श्रद्धाजंलि भेंट करने का मौका कोई नहीं गंवाना चाहता। श्रद्धाजंलि की एक लाइन लिख कर कम से कम सौ व्यक्तियों के नाम उसपर अंकित कर समाचार पत्रों के दफ्तरों में पहुंचाए जा रहे है। इन नाम छपावे के फोबिया के शिकार लोग चाहे उसके घर शोक जताने गए हो या न, बस इतना जरूर है न्यूजपेपरों में नाम छपवा लिया।

3 comments:

ओमप्रकाश तिवारी said...

एेसे लाेगाे काे कया कहा जाए। अखबारॊ में नाम छपवाने के लिए मुंह लटकाये खडे लॊग कया वाकई दुखी हाेते हैं। एेसे लॊगॊं से बचना भी मुशिकल है। यह ताे हर जगह मिल जाते हैं। शायद इसी काे कहते हैं िक जॊ दिखेगा वह बिकेगा। यहां मामला थॊडा अलग है। जॊ दिखेगा वह खास हॊ जाएगा।

vinodkmusan said...

rajni ji esye logon ke le mari ek salha hai. inke naam ke sath inki KARTUAT bhi likh dani chahiye. phir sayad next time ye naam chpwane ki jurat na karen.

vinodkmusan said...

rajni ji esye logon ke le mari ek salha hai. inke naam ke sath inki KARTUAT bhi likh dani chahiye. phir sayad next time ye naam chpwane ki jurat na karen.