Sunday, 10 August 2008

अब सब बोले बम बम भोले

अब तक राम नाम से लोगों के बीच हिंदुत्व का राग अलापने वाली बीजेपी अब बम-बम भोले की शरण में आ गई है। सावन माह को महादेव को खुश करने के लिए सभी मंदिरों में पूजा करते है तो ऐसे में बीजेपी कैसे पीछे रहे। इतना जरूर है कि बीजेपी मंदिर के साथ-साथ मंच से भी बम-बम भोले को खुश करने के प्रयास करने में सबसे आगे निकल चुकी है। लोगों के बीच अब तक जो नेता राम के नाम पर वोट मांगते आए है उनका अंदाज अब भी वही होगा, जब राम नाम के स्थान पर अब वह महादेव बम-बम भोले बोलते नजर आएंगे। बीजेपी का हर नेता बम-बम भोले की फौज बन कर लोगों के मनों में दस्तक देने की कोशिश करन में जुट गया है। आज दिल्ली में बीजेपी की रैली के दौरान मंच महादेव की पूजा करने के बाद जब अडवाणी सहित कई बड़े-बड़े नेता जब बम-बम भोले बोले तो लगा कि बीजेपी के सुर नए है। जम्मू की आग की लपटों ने बीजेपी के नेताओं को राम नाम भुला कर बम-बम भोले का जाप सीखा दिया है। मंच पर अडवाणी भोले की सेना के सिपाही बन कर गरजे की जमीन लेकर रहेंगे, जैसे जो भी हो। बीजेपी का बम-बम भोले प्रेम देखकर वामपंथी दल भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतर गए है। उन्होंने भी बम-बम भोले के नाम पर केंद्र और कांग्रेंस सरकार को दोषी ठहराना शुरू कर दिया है। अब देखना है कि बम-बम भोले किस पर मेहरबान होंगे। जम्मू में संघर्ष समिति की बैठक बेनतीजा होने का बाद बीजेपी ने भी अपने सुर थोड़े तीखे कर लिए है, क्यों इस समय हिंदुत्व के नाम पर लोगों को अपने साथ जोड़ने का मौका है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित भूमि वापस लेने से उठे विवाद से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को के हाथ ऐसा बान लगा है जो हिंदुत्व के नाम पर वोट बटोरना में काफी मदद कर सकता है। फिर ऐसे में राम की शरण से निकल बीजेपी महादेव की शरण में आने से कैसे रूक सकती थी। भाजपा ने महादेव के नाम को भुनाने के लिए संघर्ष को जिला स्तर पर शुरू करने को भी हरी झंडी दे दी है। बस देखना यह है कि आने वाले दिनों में बीजेपी और वामपंथी दलों के बीच कौन महादेव को खुश कर पाएगा और बम-बम भोले के जैकारों में किस की आवाज बुलंद रहेगी।

2 comments:

संतराम यादव said...

इन दोनों में से चाहे जिसकी आवाज बुलंद हो, लेकिन यदि हार किसी की होनी है तो वो है भोले को भजने वाली जनता की. ये तो सत्ता की कुर्सी पर बैठे नहीं कि फिर निकल पड़ेंगे किसी दूसरे देवता की तलाश में जो इन्हें सत्ता में बनाये रख सके. और फिर कहेंगे क्या करें गठबंधन की मजबूरी है.

RAJNI CHADHA said...

बिलकुल ठीक कहा आप ने सर, पर क्या हम खुद इसके लिए जिम्मेवार नहीं है। जब यह लोग धर्म के नाम पर हम लोगों से वोट मांगने आते है तो हम क्यों उनके साथ हो लेते है। पार्टी कोई भी हो फैसला हमें खुद करना है।