Wednesday, 27 August 2008

नौटंकी बंद करो लालूजी


वेद विलास
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बिहार के कई हिस्से बाढ़ग्रस्त हैं। इस कदर कि इसे बाढ़ नहीं प्रलय कहा जा रहा है। ऐसे समय जब लाखों लोग इससे प्रभावित हो रहे हों, कई घर उजड़ गए हों, तब लालू अपना गंदा खेल खेल रहे हैं। उन आग उगलती टिप्पणियां राज्य को बचाने के लिए नहीं बल्कि अपनी ओछी राजनीति की सलामती के लिए हैं।
बिहार के ये इलाके पिछले एक सप्ताह से पानी का प्रकोप सह रहे हैं। आपने भी अखबारों टीवी में तस्वीर देखी होंगी कि ये ही लालू शिबू सिरोन को झारखंड की सत्ता दिलाने के लिए कितनी दौड़भाग कर रहे थे। जब बिहार मेंं लोग इस आपदा से रोटी के लिए तरस रहे थे । ये ही लालू शिबू सिरोन को बर्फी का पीस खिला रहे थे। यही इनकी राजनीति का असली चरित्र है। जिन गरीब गुरबा की बात लालू और उनकी पत्नी रबड़ी देवी करती है उनका सबसे ज्यादा मजाक इन्ही दंपति ने उड़ाया है। अब वे दिखावे के लिए या फिर पिकनिक के लिए हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं या फिर प्रधानमंत्री केघर के आगे नाटक कर रहे हैं। भला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंचने केलिए लालू को इस ताम झाम का या जरूरत। लेकिन ऐसी नौटंकी नहीं करेंगे तो निरक्षक असहाय और बेचारे भोले भाले लोगोंं को अपने जाल में कैसे फंसाएंगे। यही इनका समाजवाद है यही धर्मनिरपेक्षता। लालू को महिमामंडितकरने वाले लोग या उन्हें बताएंगे कि इस बाढ़ की आपदा में हर कोई प्रभावित है। लालू यह सब करते हैं। हो सकता है कि प्रधानमंत्री फुर्सत पाकर बिहार की तरफ चले जाएं। सोनियाजी तो अभी चीन की यात्रा थकान मिटा रही हैं। उन्होंने बीजिंग के बर्ल्ड नेस्ट मेंं इतनी आतिशबाजी देखी है कि थकान लगना स्वाभाविक है। या है यह सब ? हम किन लोगोंं को अपना नेता मान रहे हैं। या ये हैं देश को चलाने वाले ठेकेदार? या इरादे हैं इनके। या ये किसी जगह तभी जाएंगे जब वहां रंगारंग कार्यक्रम हो रहा हो। या इन्हें किसी चीज का उद्घाटन करना हो।
बात लालू पर ही आती है। आज वे बिहार सरकार को कोस रहे हैं। लेकिन भूल जाते हैं उनके और उनकी पत्नी के शासन के पिछले पंद्रह वर्ष ही हैं जिन्होंने बिहार की ऐसी हालत की है। पंद्रह सालों में लालू ठहाकों से जनता को बरगलाते रहे। न एक सड़क बनी, न एक स्कूल खुला। अस्पताल बिजली सब चौपट। लालू ने बातें न बनाई होती और कामकाज किया होता तो अनाज रसद पहुंचाने में कुछ तो मदद मिलती। बिहार को अंधकार में पहुंचाने के बाद वे फिर नौटंकी कर रहे हैं। भूल जाते हैं कि अब देश जग रहा है। मजबूत सूचना सूचना तंत्र किसी भी नेता की नोटंकीबाजों को सामने रख देता है। बिहार के संदर्भ में लालू का आचरण शर्मनाक है। ऐसी गंभीर स्थिति मेंं उनकी कारगुजारी कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
लालू के ठहाकोंं मेंंबहुत सी चीजें छिप जाती है। आखिर किस बात का ठहाका लगाते हैं वह? बिहार को इस हालत मेंंपहुंचाने का। मुंबई और पंजाब जैसे राज्यों में बिहार के लोग अपने घर परिवार से दूर रहते हैं। मेहनत मजदूरी कर किसी तरह जीवन निर्वाह करते हैं। उन्हें भी घर परिवार की याद आती होती। लालू जैसे नेताआें ने इस दर्द को समझा होता तो पंद्रह साल कामकाज के लिए बहुत थे। लेकिन सुरती मल के और लच्छेदार बातों से लोगों को बरगा करके वह अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहे। आम लोगों की उन्हें कोई परवाह नहीं रही। उनके लिए बिहार का मतलब उनका परिवार है। आज उसी बिहार में फिर कल कारखाने खुलने लगे हैं। कृषि विकास में राज्य फिर चार प्रतिशत बढ़ कर चौथे नंबर पर आ गया है। फिर उद्योगपतियों ने बिहार में उद्योग लगाने के लिए रुझान दिखाया है। फिर मुंबई कलकत्ता और पंजाब से बिहार का मजदूर कमजोर वर्ग फिर घर वापसी की तैयारी कर रहा है। उसे काम मिल रहा है वह वापस इन राज्यों मेंं नहींं जाना चाहता। आतंक लूटपाट कम हो रहा है।
फिर लालू इस संकट के समय अपने पेंतरों से वहां की राज्य सरकार को बदनाम करना चाहते हैं। भूल जाते हैंकि यह आपदा है। अगर इसमें दि कत आ रही है तो इसके लिए वह और उनकी पंद्रह वर्ष की सत्ता भी जिम्मेजार है।
देश और बिहार को ऐसे नेताआें से सजग रहना है। ये ठहाके लगा गा कर और सिमी की बिरयानी खाकर देश के लिए ऐसा माहौल खड़ा कर रहे हैं जिससे देश के लिए काफी मुश्किल होंगी। सिमी पर आतंक फैलाने , बम विस्फोट करने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन लालू को इसकी या परवाह। उन्हें पता है कि इन बन धमाकों की जद में वह नहीं आते। हां बिहार का गरीब गुरबा जरूर आता है। इसकी उन्हें या परवाह। पर हमें परवाह है इसी लिए लिख रहे हैं। जहां तक भी हो ऐसे नेताआें से सावधान करने के लिए आप तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। आने वाला समय तो इन्हें बेनकाब करेगा ही।

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

अगर बिहार ओर भारत की जनता जगरुक हो जाये तो ऎसे निकम्मे ओर गुण्डो से देश को बचाया जा सकता हे,
धन्यवाद आप का लेख सच मे आंखे कोलने वाला हे, ओर क्या अब भी बिहार की जनता इस को जीताये गी तो उस से बडी बेब्कुफ़ होगी.

Unknown said...

dukh hota hai
Akele Bihar ko hi nahi pure desh ka sochna chahiye..
kya Bihar me bad piditon ko di ja rahi subidhayen puri hain..
agar nahi to central Govt.kya kar rahi hai
jahan lakhaon log pani me phanse hon, whayan kucch naw lagakar logon ko bahar nikala ja raha hai..
are netawon Gandi Rajniti chhodkar logon ki hit ki sochho