Tuesday 11 May, 2010

9 हेक्टेअर भूमि में आकार ले रहा 'लघु भारत ’

देहरादून से योगेश भट्ïट
सात साल पहले शुरू की गई एक पहल आज पूरे विश्व पर्यावरण के लिए नजीर बन गई है। पर्यावरण को बचाने की इस मुहिम को सलाम।
इस बार अगर आप बदरीनाथ धाम आएं, तो यहां बद्रीश एकता वन जरूर जाएं। यह वन देश ही नहीं विश्व भर के लिए पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है। आप एक पौधा लगाकर आस्था और पर्यावरण के समागम में भागीदारी कर सकेंगे। चाहे आप देश के किसी भी कोने से आए हों, इस वन में अपने प्रदेश के लिए स्थान पहले से तय मिलेगा। इसी आरक्षित स्थान पर आप अपने पूर्वजों, प्रियजनों या फिर यात्रा स्मृति में पौधा रोपकर बदरीधाम से रिश्तों की डोर जोड़ सकेंगे। आपके 'पौधे ’ की देखरेख का जिम्मा प्रदेश का वन विभाग उठाएगा।
सात साल पहले 2002 में की गई यह पहल अब अपने यौवन रूप में नजर आने लगी है। बदरीनाथ में माणा और बामणी गांव के सहयोग से देवदर्शनी के पास 9 हेक्टेअर भूमि पर इस योजना को आकार दिया गया है। यहां 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भूमि आरक्षित कर 'लघु भारत ’ का स्वरूप दिया गया है। फिलहाल इस वन में चार प्रजातियों की वंश वृद्धि हो रही हैं। इसमेें भोजपत्र, कैल, देवदार और जमनोई शामिल हैं। अभी तक 700 से अधिक वृक्ष तैयार हो चुके हैं।
अब तक योजना का प्रचार-प्रसार नहीं था, लेकिन आम लोगों के रुझान को देखते हुए इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। इसी माह शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान इस बद्रीश एकता वन का प्रचार करनेे की तैयारी है। प्रदेश सरकार भी विभिन्न मौकों पर इसका खास प्रचार कर रही है। प्रमुख वन संरक्षक डा. आरबीएस रावत इस योजना को लेकर खासे उत्साहित हैं। उनके अनुसार वन विभाग पर्यावरण संरक्षण की इस योजना पर पूरा फोकस है। योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है।
साभार-अमर उजाला

Wednesday 5 May, 2010

चूहा मेरी बहन और रेटकिल

हद्द हो गई !

अब जा के मिला है जेब में,

वो बित्ते-भर का चूहा

जिसे कत्ल कर दिया था बवजह

कई बरस पहले,

मॉरटिन रेटकिल रख के

नहीं, ये विज्ञापन कतई नहीं है

बल्कि ज़रिया था मुक्ति का..........

पर फिर भी

चूहा तो मिला है !

और मारे बू के

छूट रही हैं उबकाईयां

जबकि उसी जेब में

-हाथ डालें-डालें गुज़ारा था मैंने जाड़ा

-खाना भी खाया था उन्हीं हाथों से

-हाथ भी तो मिलाया था कितनो से

तब भी,

न तो मुझे प्लेग हुआ

न ही किसी ने कुछ कहा..........

पर तअज्जुब है कि,

कैसे पता चल गया पुलिस को,

क्या इसलिये कि

दिन में एक दफे जागती है आत्मा,

और तभी से मैं

फ़रार हूँ................,

और भी हैं कई लोग

जो मेरी फ़िराक़ में हैं

जिन्हे चाहिये है वही चूहा,

ये वही थे

जो माँगा करते थे मेरा पेंट अक्सर

इसीलिये मैं नहाता भी था

पेंट पहनकर,

(था न यह अप्रतिम आईडिया..)

पर,

अंततः मैं पकड़ा जाता हूँ.....

ज़ब्ती-शिनाख्ती के

फौरन बाद

दर्ज होता है मुकद्दमा

उस बित्ते से चूहे की हत्या का,

और हुज़ूर बजाते हैं इधर हथौड़ा

तोड़ देते हैं वे

अप्रासंगिक निब को तत्काल

और मरने के स्फीत डर से बिलबिला जाता हूँ मैं

कि तभी ऐन वक्त पर

पेश होती है

चूहे की पीएम रपट

कि भूख से मरा था चूहा,

इसलिये मैं बरी किया जाता हूँ

बाइज़्ज़त बरी

हुर्रे........................।

फू..................

आप सोचते होंगे कि क्या हुआ

फिर रेटकिल का???

आप बहुत ज़्यादा सोचते हैं,

हाँ, मैं नशे में हूँ

श्श........श्श..........श्श.....श्श...

(बहुत धीरे से, एकदम फुसफुसा के..)

बहन को खिला दिये थे

वे टुकड़े चालाकी से

क्यूँकि शादी करी थी उसने

-किसी मुसल्मान से

-खुद के गोत्र में

-किसी कमतर जात में

हा...हा...हा...हा...हा...हा....

’फिलहाल आत्मा सो रही है....

और मॉरटिन रेटकिल भी खुश है

क्योकि इस बार चूहा नहीं

बल्कि बहन मरी थी ठीक बाहर जा के.....।