राष्ट्रवादी मिलियनेयर भारतीय फिल्म को बहुप्रतिष्ठत हालीवुड पुरुस्कार 'गोल्डन ग्लोब अवार्ड ' भले ही सर्वश्रेष्ठ सक्रीन प्ले,निर्देशन तथा संगीत के संयुक्त आधार पर मिला हो लेकिन संगीतकार ए.आर.रहमान को मिले इस पुरुस्कार में भारतीयता की जीत है । संवैधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के बावजूद जब देश में सबकुछ धर्म -जाति और क्षेत्र के आधार पर बांटा जा रहा हो, एसे में रहमान की इस उपलब्धि को राष्ट्र के नाम समर्पित करना कइयों के लिए सबक या प्रेरणास्रोत बन जाना चाहिए । गौर है कि उक्त फिल्म का गुलजार लिखित रहमान का संगीतबद्ध गीत 'जय हो' गाना सर्वश्रेष्ठ मौलिक संगीत रचना के खिताब से नवाजा गया है । निश्चित रूप से रहमान का रचा यह इतिहास उनके भारतीयता में डूब जाने या राष्ट्रयिता से ओत-प्रोत हो जाने का ही परिणाम है । इस दृष्टि से अल्लाह रखा रहमान 'गोल्डन ग्लोब अवार्ड ' जीतने वाले पहले भारतीए हैं । संगीत की रचना के समय भी भारतीयता की कल्पना में खोए रहने वाले रहमान की रचनाएं उनके समर्पण को कई बार प्रकट कर चुकी है । संगीत के इस साधक में भारतीयता को समझने, भारतीयता में डूबने का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने संगीत के लिए कभी छत्तीसगढ़ को जानना चाहते हैं तो कभी गुजरात के गांवों को । कभी वह कश्मीर की वादियों में गुनगुनाया है तो कभी त्रिपुरा की तराइयों में उसकी कल्पनी पहुंची । जय हो रहमान, जय हो हिंद ....
Sunday, 18 January 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment