Wednesday 2 April, 2008

जोर का झटका धीरे से

-राजीव थपलियाल

कल बाजार में फत्तेखां मिला, तो उसे देखकर मैं दंग रह गया। पहचान में ही नहीं आ रहा था। मैं लपककर उसके पास गया और गब्बर सिंह की तरह डॉयलॉग मारा, 'अरे फत्ते खां, तुम्हारी यह दुर्गति किसने की? मुझे बताओ तो सही।` हालांकि इसके पीछे मेरी मंशा उनकी हालत जानने की थी। कभी गले में सोने की मोटी चेन और कलाई में कीमती घड़ी पहनने वाले फत्ते खां मेरी बात सुनते ही रो पड़े। बोले, 'यह सब अमरीका की रची गई साजिश का परिणाम है। अपने कॉमरेड बार-बार कह रहे थे कि बुश से दोस्ती की पींगे मत बढ़ाओ, लेकिन कोई माने तब न! कर दिया न सारा गु़ड गोबर।`
फत्ते खां की बात सुनकर मुझे लगा कि उनका दिमाग हिल गया है। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, 'यार फत्ते खां, लंतरानी छोड़ो और सीधी बात बताओ कि मामला या है? आखिर तुम्हारी यह दशा कैसे हुई? तुम्हारा तो मिजाज ही बदला हुआ है..बिल्कुल बर्ड फ्लू से पीड़ित मुर्गी की तरह। राम कसम...लगता है कि जैसे अभी-अभी किसी ने तुम्हारी गर्दन मरोड़ी है।`
फत्ते खां ने अपने आंसुआें को पोंछते हुए कहा, 'यह सब अमरीकियों की साजिश है मुझे बरबाद करने की। अपने दार जी जब बुश से 'लारालप्पा` कर रहे थे, तभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि कुछ गड़बड़ है। लेकिन जब तक मामले की पूंछ पकड़ में आती, अमरीकी अर्थव्यवस्था की मंदी ने भारतीय सेंसे स के बैल को आैंधे मुंह गिरा दिया। मुझ जैसे न जाने कितने फत्तेखां बैठे झक मार रहे हैं।`
फत्ते खां की बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, 'तुम जिन धर्मनिरपेक्षों, वामपंथियों और दक्षिणपंथियों का राग अलाप रहे हो, वे सभी एक ही थाली के बैंगन हैं। वामपंथियों की 'गु़ड खाकर गुलगुले से परहेज` वाली थ्योरी पर आपको 'डाउट` नहीं हुआ, यही ताज्जुब की बात है। मैं तो बहुत पहले समझ गया था कि मामला न तीन का है और न तेरह का। अंदरखाते सभी एक हैं। राजनीतिक मंचों पर हाथ उठा-उठाकर 'पूंजीवाद हाय..हाय` का नारा लगाने वाले जब पूंजीवाद की आरती उतारने लगे थे, तभी समझ जाना चाहिए था कि मामले का ऊंट किस करवट बैठेगा। कोई दादा बसु से तो पूछे भला कि या समाजवाद एकदेशीय हो सकता है? खैर..छोड़ो। सेंसे स के च कर में पड़ने से अच्छा है कि कबीरदास की तरह 'देख पराई चुपड़ी मत ललचावे जीव` का साधी-सादा फंडा अख्तियार करो और चैन की नींद सोओ।` मेरी बात सुनकर फत्ते खां सड़क के किनारे बैठा सेंसे स को बिसूरता रहा।

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