Sunday 25 May, 2008

ऍम जे अकबर भी ब्लोगिंग के मैदान में...

कल और आज अपनी बेहतर पत्रकारिता और सच को सबके सामने लाने का जज्बा रखने वाले होअंहार पत्रकार ऍम जे अकबर भी ब्लोगिंग के मैदान में अपनी पूरी उर्जा और तेवर के साथ मौजूद हैं....बहुत कम लोगों को शायद येः बात पता है...अर्से बाद किसी बेहतरीन पत्रकार को यहाँ देखकर वाकई दिली सुकून हुआ...१९७१ में टाइम्स ऑफ़ इंडिया से अपने करीअर की शुरुआत करने वाले अकबर, १९७६ में रविवार के अंग्रेजी संकरण सन्डे के सम्पादक रहे..उस दौरान अकबर और एस पी सिंहकी जोड़ी ने जो धूम मचाई ...शायद आज तक किसी पत्रकार ने मचाई हो....मैं ख़ुद को उन सौभाग्यशाली लोगों में समझता हूँ जिनको रविवार और सन्डे दोनों अखबार पढने का मौका मिला...मुझे आज भी इन अखबारों का अपने बीच न होना अखरता है...जाहिर है ऍम जे और एस पी की जोड़ी को कई विवादों में भी घसीटा गया..पर अगर आपके पास तेवर हैं तोः उन्हे रोक कौन सकता है...बस यही ऍम जे की खासियत थी....उन खास लोगों में मैं ख़ुद को शुमार करना चाहूँगा जिन्होंने ऍम जे की पत्रकारिता और उसके तेवरों को बेहद करीब से देखा है...हैदराबाद में ऍम जे के डेक्कन क्रोअनिकल के समूह सम्पादक रहते उनके तेवरों को जब करीब से देखा तोः मैने भी ऍम जे होने के मतलब को कुछ-कुछ महसूस करने की कोशिश की....हर चीज पर तेज नज़र..चेहरे पर शालीन सी मुस्कराहट और हर कही ऐसा खोजने की नजर जिसे आम कहे जाने वाले लोग जान पाने से महरूम रह गए हों..हम एक दो बार ही मिले पर हर बार वोः पहले से ज्यादा सहज और सरल नजर आए....दरअसल ऍम जे हमारे बीच उस जमात के प्रतिनिधि है....जो लुप्तप्राय जन्तुओँ की श्रेणी में आती है(अगर गुस्ताखी हो तोः ऍम जे मुझे माफ़ करें)...गंभीरता का बेवजह आवरण पहनकर दूसरो का मूक अपमान करके ख़ुद को बडे पत्रकार की श्रेणी में रखने के लटके-झटकों से कोसों दूर येः शख्स हर बार यही विश्वास बंधाता नजर आया की जब तक ऍम जे हैं... सच उस दौर तक लिखा जायेगा...आज ऍम जे अपने अनुभवों, किताबों और विचारों के साथ ब्लोगिंग की दुनिया में मौजूद हैं...तोः वाकई सुकून और संतुष्टि महसूस होती है की ऍम जे यहाँ भी कुछ तेवर वाली और सबसे ज्यादा सच बात के साथ मौजूद हैं...तोः इस शानदार इंसान और पत्रकार का हमें दिल खोलकर स्वागत करना चाहिए...स्वागत है ऍम जे..हमारे बीच आपका...आप ऍम जे के साथ www.mjakbar.org पर संवाद स्थापित कर सकते है और उनकी नई पत्रिका के धारदार लेखों को भी पढ़ सकते हैं.... हृदयेंद्र प्रताप सिंह

4 comments:

RAJNI CHADHA said...

kush tu sikho in se

hridayendra said...

inse seekhne ki jarurat unhe hogi jinki hamesha dusron se seekhne ki tamaana rahti hai....ludhiyana bhaskar ke koi sataye huye prani ho...agar muje salaah de rahe ho to apna kad mujh jitna karne ke baad jaroor salaah dena....swagat karunga....hindi patrakarita ke smartest chehron me hun...jahan hindi patrakaar sochna band karte hain...wahan se shuru karta hun....jyadatar log mujse milte hi inferiority complex me aa jate hain...bina maangi salaah ke liye vinamra dhnyawaad...

RAJNI CHADHA said...

aap ke liye salah nahi di aap ka kad tu hum se bhut lamba hai. aap ki jankari ke liye bta du ki main bhasker ka sataya huya prani nahi hu. maine hum sab ke liye kha hai ki in se sikna jrori hai.

hridayendra said...

kya hai raj bhai....kai log ghumte huye aate hain aur bina kuch jaane kisi post par kuch bhi likhna apna naitik kartavya maantey hain....chunki main ghor pratikriyavadi hun....maane..sneh se mile to hajaar guna sneh aur dwesh se mile to hajar guna dwesh wapas lautata hun...jaahir hai..itna short me likhengey to...sab kuch samajh me nahi hi aayega prabhu....kya yaar kanjusi jab comment likhna hai to kanjusi kaisi ....jibhar likhiye...lekin mantayva samajh me aa jaye...anyatha aise bhram paida ho sakte hain...meri baat se sahmat honge aisi ummed kar sakta hun....baki kahte hain ki dost jinda, mulakaat baki....kush rahiye...subhkaamnao aur maafi ki gujarish ke saath...
hridayendra