Tuesday, 21 October 2008

कब तक माफी मांगते रहोगे भज्जी !

विनोद के मुसान
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब आस्ट्रेलियाई गेंदबाज सायंमड और भज्जी विवाद एक लंबे एपिसोड के बाद खत्म हुआ। उस व त बात भारतीय संप्रभुता की थी, इसलिए पूरा देश भज्जी के साथ खड़ा था। इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम में स्थापित हो चुकेइस फिरकी गेंदबाज ने कई गलतियां की। जिनकी वे हर बार 'नादान` बनकर माफी मांग लेते हैं। व्यवसायिक विज्ञापन फिल्मों में बाल खोलकर नाचने का मामला हो या अंतरराष्ट ्रीय फेम पर मैच के दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से बार-बार पंगा लेने की बात, भज्जी का नाम हर बार उभरकर आया। थप्पड़ विवाद के समय लोगों ने कहा, भज्जी अब तो आपने हद कर दी। जालंधर में बैठी भज्जी की मां बोली, 'मेरा पुत्तर इंज नहीं कर सकदा`। लेकिन, टीवी स्क्रीन पर श्रीसंत के बहते आंसू सबने देखे, जो व्यथित था अपने साथी खिलाड़ी के दुर्व्यवहार से। इस एपिसोड का अंत भी भज्जी की माफी के साथ हुआ। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ मैचों में प्रतिबंध की सजा भी भुगतनी पड़ी। लेकिन, अब 'सीता-रावण` विवाद के बाद लगता है विवादों में रहना भज्जी की नियति बन गई है। वे सुधरकर भी सुधरना नहीं चाहते। वे हर बार ऐसी गलती कर जाते हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और फिर अगले दिन कहते हैं 'मैनूं माफ कर दो`। गलतियां भी इनसान से ही होती हैं। हम और आप भी आए दिन कुछ न कुछ गलतियां कर गुजरते हैं। लेकिन, अगर गलती एक 'शख्सियत` करती है, तो फिर गलती के मायने बदल जाते हैं। गलती 'महा-गलती` बन जाती है। बताने की जरूरत नहींं है कि एक अंतरराष्ट ्रीय परिदृश्य का व्यि त अगर कुछ गलत कर गुजरता है तो समाज पर उसका या प्रभाव पड़ता है। भज्जी को भी यह बात समझनी चाहिए कि वे अब जालंधर के बल्टन पार्क में खेलने वाला कोई मामूली 'मुंडा` नहीं है। वह एक अंतरराष्ट ्रीय शख्सियत है, जिसकी हर बात एक अंतरराष्ट ्रीय खबर बन जाती है। ताजा विवाद में तो भज्जी ने हद ही पार कर दी। अब वे कह रहे हैं, ऐसा उनसे अंजाने में हो गया। कोई भी कहेगा भज्जी आप 'दूध पीते बच्चे` तो नहींं हैं, जो आपसे अनजाने में हर बार गलतियां हो जाती हैं। किसी की धार्मिक भावनाआें को ठेस पहंुचाना भारत में अपराध है और आप अकसर यह अपराध कर जाते हैं।
अंत में
माफी मांग कर कोई छोटा नहीं हो जाता, अच्छी बात है, भज्जी भी इसका अनुसरण करते हैं। लेकिन, उन्हें सीख लेनी चाहिए अपने वरिष्ठ साथी सचिन तेंदुलकर से जो बुलंदियों के शिखर पर पहुंचकर आज भी स्वच्छ और सफेद चादर लिए खड़े है।

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