Wednesday 22 October, 2008

किसने बनाया राज ठाकरे को ऐसा?

राज ठाकरे और उनके मवालियों के बारे में कुछ लिखने से पहले काफी देर तक सोचता रहा। गरज ये थी कि ऐसे लोगों के बारे में कुछ लिखना अपनी उर्जा और आपका वक़्त, दोनों बर्बाद करना है। लेकिन दूसरा ख्याल ये था कि अगर 'ठाकरों' के बारे में कुछ नहीं लिखा, तो शायद ये अपने ज़मीर और अपनी कलम के साथ गद्दारी होगी। लिहाज़ा, काफ़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार लिखने का फ़ैसला किया।
सभी जानते हैं कि किसी बच्चे बहकते कदमों को अगर वक़्त रहते नहीं रोका जाए, तो ये कदम अक्सर इतनी दूर नहीं निकल जाते हैं कि फिर उसके लिए लौटना मुश्किल हो जाता है। राज ठाकरे बच्चे तो नहीं हैं, लेकिन उनकी बदमाशियों पर महाराष्ट्र सरकार समेत ज़्यादातर राजनीतिक और गैरराजनीतिक हस्तियों की चुप्पी मुझे एक लापरवाह अभिभावक की जैसी ज़रूर लगती है। कहने की ज़रूरत नहीं है कि राज ठाकरे को अगर वक़्त रहते ही एक मराठी होने से पहले एक हिंदुस्तानी होने का पाठ पढ़ा दिया जाता, तो आज महाराष्ट्र नफ़रत की आग में इस तरह धू-धू कर नहीं जल रहा होता।
मराठी मानुष तरक्की करें, इससे भला किसे ऐतराज़ होगा? महाराष्ट्र में करें, इससे भी किसी को क्या शिकायत होगी? लेकिन मराठियों की तरक्की और उनके लिए जगह बनाने के नाम पर अगर किसी दूसरे सूबे से आए बेगुनाह लोगों के साथ अमानुषिक हरकत की जाए, तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। लेकिन जिस तरह पहले ही दिन से महाराष्ट्र सरकार राज नाम के 'नासूर' को हल्के तौर पर ले रही है, ये उसी का नतीजा है कि आज हालात हाथ से बाहर होते जा रहे हैं। कुछ माह पहले जब राज ने मराठियों को रिझाने के लिए गैरमराठियों का अपमान किया था, जया बच्चन के बहाने यूपी-बिहार पर हमला बोला था, तभी अगर उन्हें कानूनी तौर पर कड़ी सबक सिखा दी गई होती, तो आज महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मवालियों के हौसले इतने बुलंद नहीं होते। लेकिन तब महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर कानूनी राय लेने की बात कह कर इसे अनदेखा करने की कोशिश की। इससे पहले भी सरकारें उनके चाचा बाल ठाकरे के साथ ऐसा ही करती रही हैं। लेकिन सोचिए कि अगर ऐसी ही कोई हरकत किसी आम आदमी ने की होती, तो यही सरकार और इसी पुलिस ने उसी कानून की दुहाई दे कर उस आम आदमी की खाल में भूसा भर दिया होता।
जैसे किसी की जान लेनेवाला शख़्स भी ख़ुद को हर हाल में जस्टीफ़ाई करने की कोशिश करता है, ठीक उसी तरह अपनी गुंडागर्दी के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी ख़ुद को सही साबित करने में जुटी है। उस रोज़ जब एक चैनल के एंकर ने राज के एक चेले (कोई राऊत नाम है उसका) से इन हरकतों का सबब पूछा तो उसने झट असम और उत्तर पूर्व के राज्यों में जारी बिहारी विद्वेष की दुहाई दे डाली। मानों उत्तर पूर्व के कुछ लोग अगर बिना सोचे समझे कुएं में कूद जाएं, तो वो भी कूद जाएंगे। लेकिन इन मवालियों को ये कौन समझाए कि अगर तमाम मराठियों के साथ पूरे देश में भी यही सुलूक किया जाने लगे, तो महाराष्ट्र और मराठी मानुष का क्या होगा? वैसे जमशेदपुर में जिस तरह टाटा मोटर्स के अधिकारी एस।बी. बोरवंकर (मराठी होने की वजह से) के घर हमला हुआ, उससे तो लगता है कि अब शायद इस तरह की वारदातों की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन ये सिर्फ़ मराठियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चिंता की बात है। क्योंकि अगर हर तरफ़ क्षेत्रीयता के नाम पर लड़ाई शुरू हो जाए, तो किसी गृहयुद्ध से कम नहीं होगा। लेकिन भला हो हमारे मुल्क के राजनेताओं का, जिन्हें वोटबैंक के सिवाय शायद कुछ भी नज़र नहीं आता।
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अपने एक पत्रकार साथी ने राज की करतूतों पर कुछ ऐसे विचार भेजे हैं। आप भी ग़ौर करें।
Yes, we all should support Raj Thackeray and take his initiative ahead by doing more...
We should teach our kids that if he is second in class, don't study harder.. just beat up the student coming first and throw him out of the school
Parliament should have only Delhiites as it is located in delhi
Prime-minister, president and all other leaders should only be from Delhi
No Hindi movie should be made in Bombay. Only Marathi.
At every state border, buses, trains, flights should be stopped and staff changed to local men
All Maharashtrians working abroad or in other states should be sent back as they are SNATCHING employment from Locals
Lord Shiv, Ganesha and Parvati should not be worshiped in our state as they belong to north (Himalayas)
Visits to Taj Mahal should be restricted to people from UP only
Relief for farmers in Maharashtra should not come from centre because that is the money collected as Tax from whole of India, so why should it be given to someone in Maharashtra?
Let's support Kashmiri Militants because they are right in killing and injuring innocent people for the benefit of their state and community..
Let's throw all MNCs out of Maharashtra, why should they earn from us? We will open our own Maharashtra Microsoft, MH Pepsi and MH Marutis of the world
Let's stop using cellphones, emails, TV, foreign Movies and dramas. James Bond should speak Marathi
We should be ready to die hungry or buy food at 10 times higher price but should not accept imports from other states
We should not allow any industry to be setup in Maharashtra because all machinery comes from outside
We should STOP using local trains... Trains are not manufactured by Marathi manoos and Railway Minister is a Bihari
Ensure that all our children are born, grow, live and die without ever stepping out of Maharasthra, then they will become true Marathis
--Sumit Nagpal

15 comments:

Unknown said...

जब इतना कुछ लिख दिया है (अपने दिमाग से) तो फ़िर थोड़ा लालू, मुलायम, मायावती, पासवान के बारे में भी लिख देते… शहाबुद्दीन और बुखारी के बारे में भी थोड़ा सा, और थोड़ा सा करुणानिधि के बारे में भी, इन महान हस्तियों के सामने राज ठाकरे तो बच्चा है… इस बात पर भी विचार कीजिये कि क्यों कश्मीर, असम सभी जगह से बिहारियों को भगाया जाता है? मुझे तो नहीं पता, आप तो विद्वान हैं आप ही बतायें…

Anonymous said...

हर जगह रेलेवे की भर्ती में सिर्फ बिहारी क्यों आते हैं, कोई मध्य प्रदेश से नहीं आता, कोई यूपी से नहीं आता, कोई राजस्थान से नहीं आता। पता कीजिये कि महाराष्ट्र में होने जारही रेलवे की भर्ती में महाराष्ट्र के कितने आदमी बुलाये गये थे। शर्म से सिर झुक जायेगा आपका।

पिछले साल उड़ीसा में हुई रेलवे की 90 प्रतिशत भर्ती बिहार के निवासियों द्वारा हुई है, सोचिये!

उ।प्र पुलिस में मुलायम के राज्यकाल में सिर्फ यादव ही क्यों भरती किये गये?

लालू जैसे लोगों ने बिहार की ये हालत कर दी कि जातिवाद और राजनीतिक स्वार्थपरता के नीचे दबे, सिसकते बिहार को छोड़कर लोग भाग रहे हैं।

सिर्फ राज ठाकरे ही नहीं, थोड़ा रुकिये, हर प्रदेश में से ये मांग उठने लगेगी। याद है जब बिहार से गोवा के लिये रेल चली थी और गोवा के मंत्री ने क्या कहा था
थोड़ा आत्मचिंतन कीजिये, आंख बंदकरके आत्म चिंतन कीजिये

राजेश कुमार said...

कुछ अपराधी हैं तो कुछ देशद्रोही। राज ठाकरे देशद्रोही है। राज ठाकरे और इसके समर्थक को तब समझ आयेगा जब उसके परिवार में किसी की हत्या हो जायेगी। राज के इस हंगामें में अब तक चार बिहार के लोगों की हत्या हो चुकी है। कल रात मुंबई में मयुर दुबे और ओम प्रकाश दुबे की हत्या हो गई। मनसे की भीड़ ने रॉड से पीट पीट कर मार डाला। राज समर्थक उसे सही ठहरा रहे हैं। आग से खेलने वाले सावधान रहे जब आग के बदले आग का खेल होगा तो लाशे गिनना मुश्किल हो जायेगी। जो की देश के लिये अच्छा नहीं होगा। लेकिन राज समर्थक राज को समर्थन कर देश को उसी रास्ते पर जाने को मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

सुप्रतिम बनर्जी said...

सुरेश जी और चंपक जी,
ठाकरे ग़लत हैं, तो हैं। आपमें भी उन्हें ग़लत ठहराने का सदसाहस होना ही चाहिए। रही बात लालू, मुलायम, मायावती, पासवान, बुखारी और करुणानिधि सरीखे लोगों की, तो यकीन मानिए कि मैं इन्हें भी राज से कमतर नहीं समझता। कहीं ना कहीं वोटबैंक या फिर यूं कहें कि अपनी जमात मजबूत करने के लिए इन सभी लोगों ने क्षेत्रवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद को हवा दी है। और तो और पासवान तो बांग्लादेशियों को नागरिकता देने की मांग भी रख चुके हैं। लेकिन ये प्रसंग चूंकि राज का था, तो राज की बात हुई। लेकिन आपने जिस तरह से अपनी प्रतिक्रिया दी है, उससे तो लगता है कि आप भी दूसरे तमाम ग़लत लोगों की तरह खुद भी ग़लतियां करना चाहते हैं। अगर नौकरियों की बंदरबांट नेता कर रहे हैं, तो क्या इसके लिए बेगुनाह बिहारियों को मौत के घाट उतार दिया जाए? क्या यही दलील देना चाहते हैं आप? भूलिए मत की ऐसा किसी मराठी भाई के साथ भी हो सकता है। रही चंपक जी के आंकड़ों की बात, तो एक सवाल मैं भी पूछना चाहूंगा कि रेलवे भर्ती में 90 फ़ीसदी बिहारी आ गए, ये डाटा आपको मिला कहां से? ऐसी कपोल-कल्पित चीज़ों से भ्रमित होने की बजाय सच को स्वीकार करने की हिम्मत कीजिए। हिंदुस्तान का भला होगा।

Anonymous said...

लालू,पासवान,मुलायम के जाती वाद को कभी स्वीकार नही किया जा सकता लेकिन राज ठाकरे को भी सही नही ठहराया जा सकता | जातिवाद,सम्प्रदायवाद,क्षेत्रवाद ये सभी मुद्दे देश को कमजोर करने वाले ही साबित हुए है

Unknown said...

कभी-कभी मुझे लगता है कि कांग्रेस शिव सेना को कमजोर करने के लिए राज को भिंदरवाले बना रही है.

Anonymous said...

राज ठाकरे आज अगर इस मुकाम पर हैं तो उसके पीछे वहां की सरकार का ढुलमुल रवैया है। मेरा भी यही मानना है कि बाल ठाकरे की लकीर को छोटा करने या कमजोर करने के लिए राज को रौंपा गया लेकिन अब वह जिन बन चुका है।

श्रीकांत पाराशर said...

Sureshji aur Champak bhumiaji ne bhi apna gussa utara hai parantu yah sahi nahi hai. mayawati, lalu, paswan, mulayam ki agar galat kartuton ka samarthan kiya jaye to vah bhi galat hi hoga. parantu jab baat maharastra men ho rahe danga fasad ki ho rahi hai tab bina sandarbh ke in dusare netaon ki baat karne ki kya tuk hai? ye sab neta ek hi thaili ke chatte batte hain parantu is samay raj thakre jo kar rahe hain uska khamiyaza nirdosh log bhugat rahe hain. agar ve chahte hain vaisa hi hone lage tab to aanewale dinon men log mohalla star par bhi bant jayenge. ek mohalle wale ko dusare mohalle men nahi ghusane diya jayega. Ham bharat wasi hain, yah ham men se kisi ko nahin bhulana chahiye. Maharastra men rahne wale marathion ko yah to batana hi hoga aur sochna hoga ki kya ve desh ke anya bhagon men jo marathi apni roji roti kama rahe hain unke sath bhi vahi ho jo mumbai ke biharion ke saath hua hai, kya ve yah uchit samjhate hain.

राजीव उत्तराखंडी said...

सुप्रतिम जी, आपने एक अच्छी बहस छे़डी है। आप का कहना जहां सही है वहीं चंपक जी और सुरेश जी भी गलत नहीं है। बहरहाल, राज ठाकरे और भिंडरावाले में कोई फर्क है। राज ठाकरे को यदि महाराष्ट ्र में मराठियों का बसेरा ही चाहिए तो इसके लिए दूसरे शांतिपूर्ण तरीके भी हैं पर वे तो अलगावादी तरीके से पेश आ रहे हैं।
एक बात और यदि राष्ट ्रीय पशु, पक्षी और ध्वज के खिलाफ कुछ भी कहना दंडनीय है तो फिर राष्ट ्रभाषा के खिलाफ बोलने वाले को भी सजा कयों नहीं मिलनी चाहिए। राज ठाकरे सांस्कृतिक आतंकवादी है और उस पर लगाम लगाने के लिए एक मात्र तिहाड़ का कमरा ही हो सकता है।

राजीव उत्तराखंडी said...

एक बात और, ध्यान रखें कि इस बहस में हम भी राज ठाकरे की बोली न बोलने लगें।

ganand said...

jo ye prashan utha rahe hain ki 90 % log railway mein Bihar se hain, pahle to unhe aakaden ikkatha kana chahiye ar fir mudde ko uthana chahiye.
haan main manta hoon ki railway mein jyada % bihariyon ka hai par iska karan koi ghotala ya lalu nahi hai iska karan agar aapko janna hai to jayie patna aur dekhiye ki kis lagan ke saath wahan log varshon tak in pratiyogita pariksha ki tayari mein lage rahte hain, ye unki kadi mehnat ka natija hai. Bihariyon ko ye sabit karne ki jarurat nahi hai, chahen wo koi bhi pratiyogita pariksha ho sabmein ham apne mehnat ke bal par apna parcham lahra rahe hain. Aur agar aapko kisi board par shak hai to RTI file karke iske baare mein pata karen. Hawa mein baatein karna band karen.
Guneshwar Anand.

विवेक रस्तोगी said...

बात आपने बिल्कुल सही कही है कि घर मे युद़्ध छिड जायेगा, परंतु अगर ठाकरे के भाई बंधुओं के साथ बिहारी ऐसा नहीं करेंगे तो शायद ही ठाकरे को एक हिन्दुस्तानी का दर्द समझ में आयेगा। यह वही स्थिती हो जायेगी जैसे कि पाकिस्तान विभाजन पर हुई थी। सोचिये और इन ओछी मानसिकता के लोगों से समाज को बचाने की कोशिश करें…।

sangya said...

rajthakerey kya admi hai,yeh to ravan ka bhi bap hai,ahankar to ishwar ka bhojan hai,aj na kal to wah bhi dunia se jayega, koi bhi kal se nahi bach paya hai, shayad iske chacha ne ye bat nahi sikhaya hai,sikh to lega lekin ghar ko jala ke.marathi kya "indian" nahi hote kya.wah samjhana kya chahta hai bihari to thik bhaga doge aur marathi kya bihar up me nahi hai

मृत्युंजय कुमार said...

मैं जम्मू आ गया हूँ. इस उलट फेर की वजह से ब्लॉग से दूर रहा. सुप्रतिम के सवाल बिल्कुल जायज हैं. पुरे घटनक्रम के लिए महाराष्ट्र सरकार ही जिम्मेदार दिखती है.

vinodkmusan said...

कहने की ज़रूरत नहीं है कि राज ठाकरे को अगर वक़्त रहते ही एक मराठी होने से पहले एक हिंदुस्तानी होने का पाठ पढ़ा दिया जाता, तो आज महाराष्ट्र नफ़रत की आग में इस तरह धू-धू कर नहीं जल रहा होता।

आपके द्वारा लिखी गई इन लाइनों में ही इस समस्या का हल है। लेकिन, अफसोस हमारे देश में घाव पर समय रहते मरहम नहीं लगाया जाता, बल्कि इंतजार किया जाता है कब यह घाव नासूर बने। राज ठाकरे के केस में भी ऐसा ही हो रहा है। मुझे तो लगता है यह एक शुरूआत है, अभी शोले भड़कने बाकी हैं, जिसमें कई हाथ और जलेंगे। योंकि घाव का मर्ज होता अभी भी दिखाई नहीं दे रहा है। कहीं ऐसा न हो जब तक मर्ज का इलाज ढूंढा जाए बहुत देर हो चुकी हो।