Wednesday 18 June, 2008

जनता ने कुर्सी वापस खिंची

(जन प्रतिनिधियों के दुर्व्यवहार को दूर करने के लिए सांसदों और विधायकों को वापस बुलाने का अधिकार मतदाताआें को होना चाहिए -सोमनाथ चटर्जी, लोकसभा अध्यक्ष)

छत्ताीसगढ़ में मतदाताआें ने तीन नगर पंचायत अध्यक्षों को वापस बुलाया
काम से जी चुराने वाले और भ्रष्ट ाचार में लिप्त महानुभावों के लिए अब चेत जाने का समय आ गया है। देश के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ के दो जिलों की जनता ने मतदान के जरिए तीन नगर पंचायत अध्यक्षों की कुर्सी वापस खींच ली है। जाहिर है अब काम नहीं करने वाले जन प्रतिनिधियों को कुर्सी नहीं मिलेगी। राज्य के दुर्ग जिले में नवागढ़, गंुडरदेही और अंबिकापुर जिले की राजपुर नगर पंचायतों के अध्यक्षों को जनता ने हटा दिया है।
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सोमवार को मतसंग्रह कराया गया गया था और वोटिंग के नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए। यह भी एक संयोग है कि पिछले शुक्रवार को ही लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने तिरुवनंतपुरम में कहा था कि काम नहीं करने वाले और दुर्व्यवहार करने वाले सांसदों और विधायकों को वापस बुलाने का अधिकार मतदाताआें को मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ के चुनाव अधिकारी सुशील त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक मतदाताआें को काम नहीं करने वाले नगर पंचायत अध्यक्षों को वापस बुलाने का अधिकार है। इसी अधिनियम के तहत मतदान कराया गया। गुंडरदेही नगर पंचायत अध्यक्ष भारती सोनकर के खिलाफ पार्षद लंबे समय से अभियान छे़डे हुए थे। उन पर राजनीतिक वजहों से विकास कार्यों में बाधा डालने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे थे। गंुडरदेही के कुल ३४२५ मतदाताआें ने इस मतदान में शिरकत की। इनमें से १९९७ वोटरों ने भारती को हटाए जाने का समर्थन किया तो १३८९ लोग नगर पंचायत प्रमुख को बनाए रखने के पक्ष में थे। ५९ वोट अवैध घोषित किए गए।
इसी तरह दुर्ग जिले की ही नवागढ़ नगर पंचायत के अध्यक्ष सीताराम गे़डेकर को हटाए जाने के मसले पर मत देने पहुंचे कुल २०२३ शहरवासियों में से ११४६ ने प्रस्ताव पर सहमति दी तो ८०० लोगों ने बरखास्तगी का विरोध किया। ७१ लोगों के मत खारिज कर दिए गए। निर्दलीय चुनाव लड़कर नगर अध्यक्ष बने गे़डेकर की जाति को लेकर विवाद था और विकास कार्यों में रुचि न लेने के आरोप भी उन पर लगाए जा रहे थे।
अंबिकापुर जिले की राजपुर पंचायत भी इस ऐतिहासिक प्रक्रिया की गवाह बनी। यहां के नगर पंचायत अध्यक्ष खोरेन खल्को विपक्षी दल भाजपा के साथ अपने साथी कांग्रेसजनों के भी निशाने पर थे। लंबे अभियान के बाद उन्हें हटाए जाने के प्रस्ताव पर मतदान कराया गया। इस वोटिंग में १५९५ वोटरों ने हिस्सा लिया। इनमें से ८१३ निवासियों ने खल्को को नकार दिया तो ७४० मतदाताआें ने उन्हें बनाए रखने का समर्थन किया।

छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, १६१ की धारा ४७ के मुताबिक अगर नगर पालिका के तीन चौथाई चुने हुए प्रतिनिधि नगर निगम के अध्यक्ष को हटाने के लिए जिलाधिकारी को लिखित में अर्जी देते हैं तो जिला प्रशासन इसकी जांच कर राज्य सरकार को अपनी सलाह भेजता है। इसके बाद राज्य सरकार चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजती है जिससे अध्यक्ष के भाग्य का फैसला हो सके।

कैसे होता है चुनाव
मत पत्र पर दो कुर्सियों के निशान होते हैं। एक कुर्सी पर किसी व्यि त को बैठे हुए दिखाया जाता है जबकि दूसरी कुर्सी खाली होती है। अगर मतदाता चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाना चाहते हैं तो उन्हें खाली कुर्सी पर मुहर लगानी होती है। अगर मतदाता संबंधित जन प्रतिनिधि को सत्ता में बनाए रखना चाहते हैं तो कुर्सी पर बैठे हुए व्यि त पर मुहर लगानी पड़ती है।

इन देशों में है स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार

अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, वेनेजुएला

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