Friday, 3 October 2008

दूसरों की प्रशंसा भी काजिए अमितजी


वेद विलास
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यह सच है कि आप एक बड़े अभिनेता है। आपको शताब्दी का कलाकार कहा जाता है। यह भी सच है कि आपके पिता एक बड़े कवि थे , उनकी लिखी मधुशाला को लोगों ने बड़े चाव से पढ़ा है और रस्सास्वादन किया है। यह भी सच है कि आपकी पुत्रवधु बहुत संुदर है उसे विश्व की सबसे सुंदर महिला कहा जाता है। आप इन बातों पर नाज करते हैं तो इसका आपको हक भी है। आखिर आपके जीवन में यश ही यश है। इससे किसी को या ऐतराज हो सकता है। अगर कुछ अजीब लगता है तो यही कि दुनिया केवल इन्ही बातों तक नहींं सिमटी है। जरा इससे बाहर भी झांकिए।
आप हमेशा समारोह और यहां वहां अपने पिता की कविता पढ़ते नजर आते हैं। उनकी चर्चा करते हैं। यह अच्छी बात है पित्र ऋण चुकाना चाहिए। अपने पिता को याद भी करना चाहिए। लेकिन जरा याद कीजिए आपके पिता के दौर में ही कितने बड़े बड़े यशस्वी कवि लेखक साहित्यकार हुए हैं जो आपके पिता केमित्र भी रहे हैं। लेकिन कभी आपसे उनकी चर्चा सुनने को नहींं मिलती। कहींं आप उनका जिक्र नहीं करते। अगर कभी भूल से जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पंत का नाम ले लेंगे एक दो कविता उनकी भी पढ़ लेंगे तो इस देश पर एहसान ही करेंगे। आखिर आपको तो यह नाम भी पंतजी ने ही दिया हुआ है। हर जगह आप हरिवंश राय बच्चनजी पर ही अटक जाते हैं। विस्तृत पढ़ने के लिए क्लिक करें

3 comments:

सुप्रतिम बनर्जी said...

ये बिल्कुल सही लिखा आपने। सटीक और बेबाक।

अबरार अहमद said...

बेद जी नमस्कार।
बिल्कुल सही कहा आपने। ऐसे लोगों को आईना दिखाना ही पडेगा।

Anonymous said...

aapki bato se to jaln ki boo aati hai