Monday, 13 October 2008

ऐसे बाप की नैतिक जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए ?

इस देश में जब भी अपराध की कोई बड़ी घटना होती है तो हम तुरंत गृहमंत्री से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांगकर बैठते हैं। ऐसे में जब किसी जिम्मेदार पद पर बैठे बड़े अधिकारी का बेटा ही क्राइम का मास्टरमाइंड निकले तो क्या उससे नैतिक आधार पर इस्तीफा नहीं मांगा जाना चाहिए?
पंजाब के फिल्लौर में पिछले गुरुवार की रात मुंबई के एक व्यापारी से पौने दो करोड़ के हीरे लूट लिए गए थे। लूटकी इतनी बड़ी घटना के बाद पंजाब के पुलिस अधिकारियों में खलबली मच गई थी। पुलिस ने आरोपियों का पता लगाने के लिए कई टीमें बनाई और दो दिनों में ही पूरे मामले का खुलासा कर लूटे गए हीरे बरामद कर लिए। खबरों के मुताबिक लुटेरा निकला विजिलेंस ब्यूरो पटियाला के एसएसपी शिवकुमार का बेटा मोहित शर्मा, जो लुधियाना में हीरों का व्यापारी है। साजिश रचने में उसका सहयोगी निकला खुद एसएसपी का सरकारी गनमैन हरबंस। शक की सूई एसएसपी के एक और गनमैन की ओर इशारा कर रही है, जो अभी पुलिस पकड़ से दूर है। मुंबई के व्यापारी ने गुरुवार दिन में मोहित को हीरे दिखाए थे और रात में लूट की यह वारदात हुई। पुलिस ने मोहित और हरबंस को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की कामयाबी में मोबाइल काल डिटेल्स की अहम भूमिका रही।
मैं इस राय के बिल्कुल खिलाफ हूं कि बेटे की करतूतों की सजा बाप को दी जाए। लेकिन नैतिक जिम्मेदारी भी कुछ चीज होती है भाई।
विजिलेंस के एसएसपी पर आंतरिक सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसके पास ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी होती हैं, जिसके गलत हाथों में पड़ जाने से देश की आंतरिक सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में जब एसएसपी का बेटा क्राइम का मास्टरमाइंड निकले, तो बड़े साहब जिम्मेदारी से कैसे मुक्त हो सकते हैं? सवाल यह हैकि यदि एसएसपी साहब को पता था कि उसका बेटा कानून को ठेंगा दिखा रहा है तो बाप की चुप्पी या अपराध नहीं है? और यदि उसे अपने बेटे के बारे में ही पता नहीं था कि उसका बेटा गलत रास्ते पर चल रहा है, तो फिर या उसे विजिलेंस के एसएसपी जैसे अहम पद रहने दिया जाना चाहिए? देश के नीति निर्धारकों को इस सवाल पर सोचना होगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एसएसपी शिवकुमार पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ चल रही विजिलेंस जांच और पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क के खिलाफ हो रही जांच में भी शामिल हैं।

6 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

भाई ,एक बाप की हैसीयत से सोचें तो आज कल के जो हालात है उन में बेटे और बाप के बीच कितनी दूरी होती है यह सब जानते हैं। लेकिन यदि बेटा व्यस्क नही है,नाबलिग है तो बाप को जिम्मेदारी लेनी ही होगी। दुसरी स्थिति में बाप को दोष देना ठीक नही।

PREETI BARTHWAL said...

बिलकुल ठीक, यही किसी और के बेटे ने किया होता तो अभी तक पूरा परिवार केस में पिस चुका होता।

PREETI BARTHWAL said...
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डॉ .अनुराग said...

आज के जमाने में पिता को दोष देना ठीक नही ...हाँ दोष साबित हो जाने के बाद पिता का उसे बचाने के लिए अपना रॉब गालिब करना ठीक नही है...बदकिस्मती से आजकल ऐसा हो रहा है....

जितेन्द़ भगत said...

आपसे पूर्णत: सहमत हूँ, एक महत्‍वपूर्ण पद पर रहते हुए, जो स्‍वयं जॉंच वि‍भाग से संबद्ध है, वहॉं तो बाप को भी नैति‍क रूप से जि‍म्‍मेदार माना जाना चाहि‍ए, हालॉकि‍ लचर व्‍यवस्‍था में वे दोनों बच नि‍कलेंगे, या बेटे की सजा कम हो जाएगी।

अबरार अहमद said...

सर जी नैतिक जिम्मेदारी तो बाद में देखेंगे अभी तो एसएसपी साहब अपने बेटे की जमानत की जरूरी जिम्मेदारी में जुटे होंगे।