Friday 15 February, 2008

डा. परमानंद श्रीवास्तव को 'भारत-भारती`

उत्तर प्रदेश के हिंदी संस्थान ने वर्ष २००६ के पुरस्कारों की घोषणा की है। डा. परमानंद श्रीवास्तव को 'भारत-भारती` सम्मान दिया जाएगा।

१-लोहिया साहित्य -डा. श्याम सिंह 'शशि`
२-हिंदी गौरव - डा. कुंवर बेचैन
४-महात्मा गांधी साहित्य सम्मान - डा. वेद प्रताप वैदिक
५-दीनदयाल उपाध्याय सम्मान - डा. प्रभाकर श्रोत्रिय
६-अवंती बाई सम्मान - डा. (श्रीमती) गिरीश रस्तोगी को दिया जाएगा।

भारत-भारती के रूप में २.५१ लाख रुपये व शेष के लिए दो-दो लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे।

एक लाख रुपये का 'साहित्य भूषण` सम्मान
१-डा. शेर जंग गर्ग
२-डा. छैलबिहारी लाल गुप्त उर्फ राकेश गुप्त
३-उमेश जोशी
४-आशा श्रीवास्तव
५-धनंजय अवस्थी
६-डा. गिरिराज शरण अग्रवाल
७-डा. किशोरी शरण शर्मा
८-कौशलेंद्र पाण्डेय
९-देवकीनंदन शांत
१०-ओमप्रकाश वाल्मीकि

लोक भूषण, कला भूषण, विद्या भूषण, विज्ञान भूषण, पत्रकारिता भूषण, प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण, बाल साहित्य भारती, सौहार्द व हिंदी विदेश प्रसार सम्मान वर्ष २००६ के लिए दिए गए हैं।


एक-एक लाख रुपये का लोक भूषण सम्मान
- डा. विद्या विन्दु सिंह
कला भूषण सम्मान डा. - उर्मिल कुमार थपलियाल
विद्या भूषण सम्मान - डा.सत्यदेव मिश्र
विज्ञान भूषण सम्मान - डा.सैयद आसिफ हुसैन आबिदी
पत्रकारिता भूषण सम्मान - मधुसूदन आनंद
प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान - गंगारत्न पाण्डेय
बाल साहित्य भारती सम्मान - नरेश चंद्र स सेना

एक लाख एक हजार रुपये के सौहार्द सम्मान
१- डा. कालीचरण चौधरी (ओड़िया),
२- डा.जमील अहसन (उर्दू)
३- डा. भूषण लाल कौल (डोगरी/कश्मीरी),
४- डा.पी.के. बालसुब्रह्मण्यम (तमिल)
५- डा. वी.डी. हेगड़े (कन्नड़)
६- डा. रामचंद्र राय (बांग्ला)
७- सिम्मी हर्षिता (पंजाबी)
८-डा. दामोदर खड़से (मराठी)
९- सुश्री बी. आम्बा 'माधवी` (तेलुगु)
पच्चीस हजार रुपए का हिंदी विदेश प्रसार सम्मान डा. पी. जयरामन को दिया गया है।
विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान डा. उषा सिन्हा व डा. कमला शंकर त्रिपाठी को दिया गया है।

एक लाख रुपये का मधुलिमये स्मृति पुरस्कार कैलाश चंद्र मिश्र को दिया गया है।

वर्ष २००६ में प्रकाशित महिला रचनाकार की कथा कृति अपने-अपने मरुस्थल पर आठ हजार रुपये का पं. बद्री प्रसाद शिंगलू स्मृति सम्मान पुरस्कार विनीता शु ला को दिया गया है।

वर्ष २००४ के लिए बीस-बीस हजार के नामित पुरस्कारों में बाल साहित्य के लिए सूर पुरस्कार कल्पनाथ सिंह को, अवधी के लिए मलिक मुहम्मद जायसी पुरस्कार डॉ. राम बहादुर मिश्र को, ब्रज भाषा के लिए श्रीधर पाठक पुरस्कार अम्बिका प्रसाद शु ल 'अम्बिकेश` को, भोजपुरी केलिए राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार बृज मोहन प्रसाद अनारी को, राष्ट ्रीय एकता एवं भावनात्मक समन्वय संबंधी साहित्य केलिए कबीर पुरस्कार पवन कुमार सिंह को, नाटक केलिए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार डॉ. विश्वनाथ मिश्र को, शिक्षा के लिए मदन मोहन मानवीय पुरस्कार डॉ. मया शंकर सिंह को, विधि/विधि शास्त्र केलिए मोतीलाल नेहरू पुरस्कार अमरनाथ सिंह को, धर्म/दर्शन केलिए भगवानदास पुरस्कार आर.पी. मित्तल को, निबंध केलिए महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार अनन्त राम मिश्र अनन्त को, भाषा/भाषा विज्ञान श्यामसुन्दर दास पुरस्कार डॉ. कमल सिंह को, वनस्पति/प्राणिशास्त्र/आयुर्विज्ञान केलिए बीरबल साहनी पुरस्कार प्रो. एम.सी. पन्त को, उपन्यास के लिए प्रेमचन्द्र पुरस्कार शैलेंद्र सागर को, खण्डकाव्य के लिए जयशंकर प्रसाद पुरस्कार सुशील सरित को, आलोचना के लिए रामचन्द्र शु ल पुरस्कार वेद प्रकाश गर्ग को, इतिहास केलिए आचार्य नरेन्द्र देव पुरस्कार प्रो. सुगम आनन्द को, गीत/मु तक/गजल के लिए निराला पुरस्कार निर्मल शु ल को, पत्रकारिता केलिए बाबूराव विष्णु पराड़कर पुरस्कार अमी आधार निडर को, गणित/भौतिकी/रसायन केलिए के.एन.भाल पुरस्कार श्रीनारायण लाल श्रीश को, युवा लेखन केलिए बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार के.डी.सिंह को, कहानी केलिए यशपाल पुरस्कार दया नन्द पाण्डेय को, संस्कृति केलिए हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार डॉ. रीना अस्थाना को, यात्रा वृतान्त/जीवनी/संस्मरण/रेखाचित्र के लिए सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय पुरस्कार राजीव श्रीवास्तव को, मासिक/द्विमासिक/त्रैमासिक पत्रिकाआें के लिए सरस्वती पुरस्कार डा. सत्यवान को, समस्त विधाआें में केवल महिला साहित्यकारों की कृति पर के लिए महादेवी वर्मा पुरस्कार- सुश्री किरन सिंह को, व्यंग्य के लिए पं. श्री नारायण चतुर्वेदी पुरस्कार- डा.सुशील सिद्धार्थ को, कविता के लिए विजय देव नारायण साही पुरस्कार- वीरेंद्र सारंग को दिया गया है।

आठ-आठ हजार रुपये के नामित पुरस्कारों में बाल साहित्य के लिए सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार- अखिलेश श्रीवास्तव चमन को, अवधी के लिए वंशीधर शु ल पुरस्कार- सुश्री रामाआर्य पाण्डेय को, ब्रज भाषा के लिए हृषीकेश चतुर्वेदी पुरस्कार-सतीश आर्य को, भोजपुरी के लिए भिखारी ठाकुर पुरस्कार-रामानंद राय गंवार को, राष्ट्रीय एकता एवं भावनात्मक समन्वय संबंधी साहित्य के लिए नज़ीर अकबराबादी पुरस्कार-अनुराग आग्नेय को, नाटक के लिए मोहन राकेश पुरस्कार-विनय श्रीवास्तव को, शिक्षा के लिए बाबू श्यामसुन्दर दास पुरस्कार-डा. शरद चंद्र मिश्र को, विधि/विधि शास्त्र के लिए परशुराम चतुर्वेदी पुरस्कार डा.संत प्रसाद गुप्त को, धर्म/दर्शन के लिए नंद किशोर देवराज पुरस्कार डा.देवी सहाय पाण्डेय दीप को, निबंध केलिए गुलाबराय पुरस्कार-के.एस. तूफान को, वनस्पति/प्राणिशास्त्र/आयुर्विज्ञान के लिए आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी पुरस्कार- डा.पृथ्वीनाथ पाण्डेय, उपन्यास के लिए अमृत लाल नागर पुरस्कार डा.भालचंद्र तिवारी को, खंड काव्य के लिए आनंद मिश्र पुरस्कार- सुरेश कुमार शु ल संदेश को, आलोचना केलिए राम बिलास शर्मा पुरस्कार- डा.राजकुमार को, इतिहास के लिए ईश्वरी प्रसाद पुरस्कार- गोपीचंद्र श्रीनागर को, गीत/ मु तक/गजल के लिए बलबीर सिंह रंग पुरस्कार-मधुकर अस्थाना को, पत्रकारिता के लिए धर्मवीर भारती पुरस्कार-डा. शीला मिश्र को, युवा लेखन के लिए डा.रांगेय_राघव पुरस्कार- डा.अंजली को, कहानी के लिए राम प्रसाद विद्यार्थी 'रावी` पुरस्कार शैलेंद्र श्रीवास्तव को, लोक साहित्य विवेचन के लिए बलभद्र प्रसाद दीक्षित 'पढ़ीस` पुरस्कार- डा. सियाराम 'सिंधु` को यात्रावृतांत/जीवनी/संस्मरण/रेखाचित्र के लिए जगदीश गुप्त पुरस्कार-डा.कमल सिंह को, मासिक/द्विमासिक/ त्रैमासिक पत्रिकाआें पर धर्मयुग पुरस्कार - अनंत प्रकाश तिवारी को, समस्त विधाआें में केवल महिला साहित्यकारों की कृति पर विद्यावती कोकिल पुरस्कार-डा. उषा चौधरी को, व्यंग्य के लिए शरद जोशी पुरस्कार-महेश चंद्र द्विवेदी को, कविता के लिए नरेश मेहता पुरस्कार-राजीव पांडे को दिया गया है।

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यह मेरे घर का सम्मान है : परमानंद


उत्तर प्रदेश हिंद संस्थान का सर्वोच्च सम्मान भारत-भारती परमानंद श्रीवास्तव को मिला। वह इसे अपने घर का सम्मान बताते हैं और कहते हैं कि ७२ पार, लगता है अभी-अभी तो शुरू किया है। गजब की ऊर्जा और अथाह जिजीविषा लिए प्रो. परमानंद के लिए यह सम्मान घर का वह सम्मान है जिसे वह अपनी पाठशाला भी मानते हैं। भारत-भारती के लिए परमानंद श्रीवास्तव के नाम की घोषणा के तत्काल बाद गोरखपुर में सूरजकुंड स्थित उनके आवास पर जब 'अमर उजाला` के संजय तिवारी ने उनसे बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश: -
-आज के दिन भारत-भारती का मिलना कैसा लग रहा है?
-इसे पुस्तक मिलन कहेंगे...वैलेंटाइंस है...प्रेमी युगल गिफ्ट देते हैं। मैं साहित्य का होलटाईमर हूं। गिफ्ट देने के लिए पुस्तकों से अच्छा कुछ भी नहीं। मैं तो इसे मातृ-पितृ दिवस मानता हूं और अपनी दुनिया के उन लोगों को जरूर याद करता हूं जिनसे ऊर्जा ली है।
वेराउन सपनों की कथा कहो, नेरुदा की २० प्रेम कविताएं, रूसी कवि एफ्तेसेंको की आत्मकथा एक अजब दास्तान...ये सब मुझे बहुत कुछ देती है।

सवाल : साहित्य, परिवार और इस माे़ड पर यह सम्मान कुछ नया अनुभव तो होगा? अनुभूति कैसी है?

जवाब : अभी-अभी दिल्ली पुस्तक मेले से लौटा हूं। मेरी दुनिया वहीं है। उत्तर प्रदेश हिंद संस्थान से आज घोषित भारत-भारती मेरे घर का सम्मान है। घर मेरी पहली पाठशाला है। मेरी पत्नी प्रारंभ से ही मुझे शब्द देती रही है। मेरी बेटिया, मेरे नाती किंशुक, ऋत्विक, बकुल- वे मेरे साथ न सिर्फ संवाद करते हैं, बल्कि नए समय का सपना भी दिखाते हैं।

सवाल : लेखन का माहौल और जीवन के संघर्ष एक साथ तालमेल कैसे बन पाता है? वह भी आज के समय में?

जवाब : साहित्य मेरा आे़ढना-बिछौना है। मैं रोज लिखता हंू।_ हिंदी पाठक जानत_ा है कि मुझे विमला देवी फाउडेशन का द्विजदेव सम्मान मिला। के.के. बिडला फाउडेशन का व्यास सम्मान मिला। यह कविता का अर्थात पर था। इसी माह मेरी आने वाली किताबें हैं- प्रतिनिधि कविताएं-संपादक अरुण कमल, इस बार सपने में तथा अन्य कविताएं- संपादक अनामिका, कविता का अर्थात पेपर बैक-वाणी प्रकाशन और गोरखपुर के शैवाल प्रकाशन से सन्नाटे में बारिश, यह कॉलम नुमा निबंध है। नेरुदा की ७० कविताएं अविधा प्रकाशन से आ रही है। पहल में विस्थापन और संस्कृति लेख माला के रूप में आ रही है। एक विस्थापित की डायरी का पाकिस्तान में अनुवाद हो रहा है। पाकिस्तान हिंदी प्रकाशक हमारी रचनाआें का उर्दू तर्जुमा छाप रहे हैं। यह सब इसी समय में हो रहा है। इसलिए तालमेल के लिए अलग से सोचने और चिंतित होने के जरूरत नहीं।

सवाल : विगत कुछ वर्षो से गोरखपुर हिंदी के लिए चर्चित हो रहा है, खासकर सम्मान के साथ। इस पर कुछ कहना चाहेंगे?

जवाब : भारत-भारती पिछले वर्ष रामदरश जी को मिला। मुझे व्यास मिला। रामचंद्र तिवारी जी, विश्वनाथ जी, रामदेव शु ल, गिरीश रस्तोगी, देवेंद्र आर्य सहित अनेक रचनाकार हिंदी जगत में सम्मानित हो चुके हैं। यह हिंदी पत्रकारिता की सक्रियता से संभव हो पा रहा है और खास बात यह कि गोरखपुर में नयी खिड़कियां खुल रही हैं।

- साभार अमर उजाला

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस खबर को प्रकाशित करने के लिये.