Sunday 3 February, 2008

यहां प्रेम करना गुनाह है


धर्मवीर
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हरियाणा में प्रेमी जाे़डों की हत्या का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को जहां कुरूक्षेत्र में अपने प्र्रेम को परवान न चढ़ता देख प्रेमी जाे़डे ने खुद ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली, वहां यमुनानगर में बिरादरी की नाक के ठेकेदारों ने एक प्रेमी जाे़डे को पीट-पीट कर मार डाला। पंचायत ने बाद में दोनों पक्षों को यह कह कर चुप करवा दिया की दोनो पक्षों कोे बराबर का नुकसान हुआ है। मामला किसी तरह मीडिया की नजर में आ गया,तब जाकर कहीं केस दर्ज हुआ। मगर इसे मीडिया की मजबूरी कहा जाए या फिर मीडिया में बैठे लोगों की सामंती मानसिकता कि जो संवाददाता कंपकपा देेने वाली सर्द रात में मामले की तमाम बारीकियंा लेकर आया उसी केअखबार ने खबर को उसके संस्करण में नही छापा। डर रहा होगा कि ऐसी खबर सेे अखबार के हित प्रभावित हो सकते हैं।
यमुनानगर के छौली गांव के प्रवीण व नीलम का कसूर इतना ही था कि उन्होने खाप पंचायतों के कुख्यात हरियाणा में अंतरजातीय प्र्रेम का दु:साहस किया। दोनों को पकड़ कर तब तक पीटा गया जब तक की उनक ी जान नही निकल गई। जैसा कि अ सर होता है पंचायत ने मामले को गांव की नाक का सवाल समझा और न्यायिक प्रक्रिया को गांव में निपटा ही दिया। लड़की वालों के माथे पर अपराध की कोई सिकन नही बल्कि नाक को बचाने का गर्व झलक रहा था। हरियाणा के सामाजिक चरित्र पर बहस करने वाले मा र्सवादी चिंतक भले ही ऐसी घटनाआें को सामंती अवशेष मान कर खारिज कर दे मगर प्रेमी जाे़डों की हत्याआें का यह सिलसिला कुछ और ही कहता है। हरियाणा में ऐसी हत्याआें को न्यायसंगत ठहराने के लिए बाकायदा एक राजनैतिक तानाबाना बन चुका है। खाप पंचायतों को और अधिक संगठित रूप देने के लिए हाल ही में जाट तख्त की चर्चा शुरु हो चुकी है। जाट तख्त के विचार को हवा देने वाली आदर्श जाट महासभा ने अपने घोषणापत्र में अंतरजातीय विवाहों के खिलाफ ऐसी ही सजा का खुले तौर पर समर्थन किया है। गोत्र के नियम कड़े करके आए रोज शादियों को ताे़डना व पति-पत्नि क ो भाई बहन बनाना हरियाण की नियति बन चुका है। ऐसी घटनाएं साबित कर रही है कि २१वीं सदी में प्रवेश करने वाला हरियाणा वास्तव में आज भी कबाइली युग में जी रहा है। खाप पंचायतों के ये फतवे प्रेमी जाे़डों तक सीमित नही है। इनके निशाने पर तमाम तरह की परिवर्तनकामी ताकतें है। प्रतिक्रियावादी ताकतों को डर है कि किसी भी तरह का परिवर्तन इनकी सत्ता को उखाड़ फैंकेगा। ये हत्याएं अपनी सत्ता को बचाए रखने की छटपटाहट का ही परिणाम है।

3 comments:

anuradha srivastav said...

हद हो गई ,लगता है कि कबीलाई कानून लागू किये जा रहें हैं। इक्कीसवीं सदी कि जगह अठारवीं सदी में जी रहें हैं।

रमेश भाई पटेल said...

बदलाव एक तूफान है, जब वह आयेगा तो चारों और छाकर आयेगा.
वो ग्लेशियर की तरह धीरे-धीरे पहाड़ों से चला है, लेकिन वादियों तक पहुंचते बाढ़ हो जायेगा.

फिर क्या ये पंचायत और क्या वो महासभा, जब बदलाव आयेगा, तब सब कुछ बह जायेगा.

Unknown said...

hamari mansikta itni sankuchit hai aur gulami is kadar hawi hai ki hum apne youavo aur bachcho ko khud se apne zindagi ke nirnay lete dekh hi nahi sakte. agar koi arranged marriage me dikkate jhelta hai to kismat kharab hai aur agar love marriage ya love come arranged marriage me kuch dikkate aati hai to ulhana ye ki aur kero manmarji. pata nahi kab hamare bado ki samajh bhi badi hogi. aapne sach bahut hi shhandaar likh hai sir.