Saturday, 6 September 2008
भारत से जंग की तैयारी में है पाक : ओबामा
चुनाव के समय कूटनीतिक बयान
फा स न्यूज से साक्षात्कार में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बराक ओबामा ने कहा कि आतंक के विरुद्ध युद्ध के नाम पर अमेरिका से मिल रही आर्थिक मदद को पाकिस्तान भारत के खिलाफ जंग की तैयारी में खर्च कर रहा है। ओबामा ने पाकिस्तान पर अमेरिका से मिली रकम का दुरुपयोग करने का सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर वह राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतकर व्हाइट हाउस में पहुंचे तो उसे आतंक के नाम पर दिया जा रहा सैन्य सहयोग रोक देंगे। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन पाकिस्तान को अफगान सीमा से सटे इलाकों को आतंकियों का पनाहगाह नही बनने देगा।
ओबामा ने कहा कि वह अफगानिस्तान पर ध्यान केंद्रित करते हुए पाकिस्तान में आतंकियों का गढ़ ढहाने का दबाव बनाएंगे। उन्होंने माना कि अभी अमेरिका बिना बारीकी से परखे पाकिस्तान को सैन्य सहयोग दे रहा है। नतीजतन वह अमेरिकी मदद को भारत के खिलाफ जंग की तैयारी में खर्च किए जा रहा है। ओबामा का कहना है कि वह आतंकी संगठन अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को पाताल से भी खोज निकालेंगे। ऐसा होकर रहेगा, योंकि अपने कार्यकाल में वह अमेरिकी सेनाआें को पाकिस्तान में उतारने से नहीं हिचकिचाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन आतंक के खिलाफ जंग से पीछे हटकर पाकिस्तान को कट्टरपंथियों के कब्जे में नहीं जाने देगा। ओबामा ने साक्षात्कार के दौरान साफ कहा कि वह पाकिस्तान को सैन्य सहयोग आतंकियों को निशाना बनाने के लिए ही मुहैया कराएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना में मदद करना है, जबकि बुश प्रशासन ने पाकिस्तान से आतंकियों को खत्म करने की जिम्मेदारी के लिए जवाबदेह बनाए बिना मुशर्रफ पर १० अरब डॉलर खर्च कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान पर हमले की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन उस पर उतना दबाव जरूर बनाएंगे जितना जरूरी है।
ओबामा के इस बयान को हम भारतीयों को किस नजरिये से देखना चाहिए? या इसका मतलब यह है कि ओबामा जब अमेरिका के राष्ट ्रपति बनेंगे तो भारत-अमेरिका संबंध मधुर होंगे। या हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि ओबामा के काल में अमेरिका पाकिस्तान को नहीं भारत को तरजीह देगा? जाहिर है ऐसी उम्मीद करना अभी जल्दबाजी होगी। ओबामा अभी राष्ट ्रपति पर के उम्मीदवार है। ऐसे में वह आक्रमक भाषा का इस्तेमाल करके अपना वोट बैंक प का कर रहे हैं। यह उनकी कूटनीति हो सकती है। उनके इस साक्षात्कार में पाकिस्तान के बहाने जार्ज बुश निशाने पर रहे हैं। वह बुश की नीतियों के आलोचना करके बुश से नाराज लोगों का वोट प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बहाने वह अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को भी साध रहे हैं। जाहिर है कि उनके इस बयान से भारतीय मूल के लोगों की संवेदना ओबामा से जु़डेगी। चुनाव के मौसम में ऐसी बयानबाजी एक कूटनीति होती है जिसे राजनीति के चतुर खिलाड़ी अपनाते हैं। अमेरिका के चुनाव में विदेश नीति का हमेशा ही अहम भूमिका रही है। ओबामा के बयान को फिलहाल इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए। यदि राष्ट ्रपति बनने के बाद भी ओबामा अपने इस कथन पर अमल करते हैं तो यह अमेरिकी विदेश नीति में सकारात्मक बदलाव होगा, जिसका भारत यकीनन स्वागत करेगा।
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