Tuesday 23 September, 2008

हम हिन्दुस्तानी

बम बबम बम लहरी लहर लहर नदियाँ गहरी......क्या आतंक वाद की जड़ें भी गहराती जा रही है. बहुत याराना लगता है बाबू. तो पड़ेगी गोली . ये तो होना ही था गायेंगे सब. देखो भूल न जाना खाया है नमक जहाँ का वहां से गद्दारी मत करना. क्यों कि जैसी करनी वैसी भरनी . पर जिन्हों ने किया है पैदा उनके माथे पर कलंक क्यों लगा
गए. देखो ओ दिवानो तुम ये kam न करो बाप का नाम बदनाम न करो. चलो एक बार फ़िर से अजनबी बन जाए हम दोनों. आ ओ बन जाए सबसे पहले हिन्दुस्तानी. हम हिन्दुस्तानी हम हिन्दुस्तानी. भइया का सलाम. भइया याने भाई.

1 comment:

रंजन राजन said...

खाया है नमक जहाँ का वहां से गद्दारी मत करना. क्यों कि जैसी करनी वैसी भरनी .....
बिढ़या शब्दिचत्र।