बम बबम बम लहरी लहर लहर नदियाँ गहरी......क्या आतंक वाद की जड़ें भी गहराती जा रही है. बहुत याराना लगता है बाबू. तो पड़ेगी गोली . ये तो होना ही था गायेंगे सब. देखो भूल न जाना खाया है नमक जहाँ का वहां से गद्दारी मत करना. क्यों कि जैसी करनी वैसी भरनी . पर जिन्हों ने किया है पैदा उनके माथे पर कलंक क्यों लगा
गए. देखो ओ दिवानो तुम ये kam न करो बाप का नाम बदनाम न करो. चलो एक बार फ़िर से अजनबी बन जाए हम दोनों. आ ओ बन जाए सबसे पहले हिन्दुस्तानी. हम हिन्दुस्तानी हम हिन्दुस्तानी. भइया का सलाम. भइया याने भाई.
Tuesday, 23 September 2008
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1 comment:
खाया है नमक जहाँ का वहां से गद्दारी मत करना. क्यों कि जैसी करनी वैसी भरनी .....
बिढ़या शब्दिचत्र।
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