अगले सप्ताह एक बार फिर संयु त राष्ट्र में दुनिया भर के नेता सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को पूरा करने के उपायों पर चर्चा के लिए जमा होंगे। इस सम्मेलन में भूख व गरीबी के अलावा वैश्विक शिक्षा प्रसार और एचआईवी/एड्स से निपटने के उपायों पर भी बातचीत की जाएगी। लेकिन इस बीच दुनिया में गरीबों की संख्या में इजाफा हो गया है। कराे़डों लोग एक जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं।
एक तरफ जहां दुनिया में अमीरों की तादाद में इजाफे का दावा किया जा रहा है, वहीं निवाले के लिए तरसते लोगों की संख्या भी बेलगाम बढ़ती जा रही है। मुंह बाए खड़ी महंगाई ने दुनिया में भूखों की तादाद ७.५ करोड़ और बढ़ा दी है। नतीजतन अब पेट भरने में नाकाम लोगों की संख्या बढ़कर ९२.५ करोड़ हो गई है। संयु त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजा आंकड़ों से साफ जाहिर होता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय २०१५ तक भूख और गरीबी मिटा देने के सहस्राब्दी विकास लक्ष्य से भी काफी दूर हो गया है।
वीरवार को इटली की संसद के सामने संयु त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के प्रमुख जै यूज डियोफ द्वारा पेश रिपोर्ट के मुताबिक खाद्यान्न कीमतें बढ़ने से पहले २००७-०८ के दौरान भूखे लोगों की संख्या ८५ करोड़ ही थी। संयु त राष्ट्र के अधिकारियों और सहायता एजेंसियों के अनुसार २०१५ तक भूख व गरीबी उन्मूलन के तय लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम हो जाने की एक अहम वजह दुनिया के अमीर देशों से मिलने वाली वित्तीय मदद में देरी है। इसी महीने संयु त राष्ट्र महासचिव बान की मून की ओर से जागरूकता अभियान के तहत जारी रिपोर्ट के मुताबिक दाता देशों ने २००० से वित्तीय सहयोग बढ़ा तो दिया है लेकिन २००६ और २००७ में सहयोग स्तर में क्रमश: ४.७ व ८.४ फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
Friday, 19 September 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
बढीया प्रयास है। भूख से भारत के लोग अभी जूझ रहे हैं।
tiwari ji, aajadi k itne salon baad bhi bhookh se nijad na milna loktantar k liye sharmnak hai. magar hamare niti nirmataon ko sharm aaye tab na.
Post a Comment