Sunday 21 September, 2008

लालू , मुलायम प्लीज वहां मत चले जाना


वेद विलास
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बिना लाग लपेट के लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव से पूछा जा सकता है कि शहीद मोहन शर्मा की शहादत पर उनकी भी आंखे नम हुई या नहीं। डर यह लग रहा है कि कहां वह दिल्ली मेंं आतंकी विस्फोट करने वाले आतंकियों के घर पर मातम मनाने न चल जाएं। जो नेता अब्दुल बसर के घर पर जा सकते हैं वह ऐसा भी कर सकते हैं। नेताजी, प्लीज ऐसा न कीजिए। हो सकता है कि राजनीतिक समीकरणोंं से ऐसा करने से आप बड़े बड़े पदों पर आसीन रहें, आपकी राजनीति की दुकान चलती रहे ,हो सकता है कि पांच पीढ़ियों के लिए आपके पास पैसा जमा हो जाए, हो सकता है कि आप इतने ताकतवर हो जाए कि रावण की तरह अट्टहास कर सकें, लेकिन आप की हरकतों को सदियां कोसती रहेंगी। जब भी कोई दर्द भरी चीत्कार सुनाई देगी जो जितना आतंकवादियों को लानत देगी, उतनी ही उन नेताआें को भी जिनकी बदौलत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई ठीक से लड़ी नहीं जा रही है।
बहुत हो चुका, कुछ राजनीतिक समीकरण तो सभी चलते हैं। पर अब वह स्थिति आ गई है कि या तो आप अपने को भी आतंकवादियों के समर्थक कहो या फिर आम जन से अपनी भूमिका साफ करो।
तुम ऐसा यों करते हों, यों समय समय पर ऐसे बयान देते होंं कि सिमी वाले खुश हो जाएं, यों आजमगढ़ मेंं आतंकवादी के घर मेंं जाकर परिवारजनों से मिजाजपुर्सी करते हो। या इसलिए कि तुन्हें लगता है मुस्लिम लोग इन बातों से खुश होंगे। यह बेवकूफी है, सच्चा मुसलमान तो आतंकवाद के खिलाफ है। वह अमन चाहता है। उसे लगता है कि आपकी टिप्पणियां माहौल को और खराब करती है। विस्तृत पढने के लिए क्लिक करें

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