सितंबर माह की पहली तारीख को ज्यादातर समाचार चैनलों की भ्रामक खबर से बंदा खुश रहा। चैनलों पर दिनभर ब्रेकिंग न्यूज दिखाई गई कि १५ सितंबर से सभी मोबाइल कंपनियों के रीचार्ज कूपनों पर फुल टॉकटाइम मिलेगा। ऐसा निर्देश भारतीयदूरसंचार नियामकप्राधिकरण (ट्राई) ने दिया है। बंदे को लगा कि अब वह दिल खोलकर बातें कर सकेगा। खबर को और विस्तार से जानने के लिए इंटरनेट खंगाला तो समाचार एजेंसियों की खबरोंसे पता चला कि ट्राई का यहनिर्देश सिर्फ 'टॉप-अप` कार्ड के लिए है। शायद ही कोई मोबाइलधारक होगा, जिसे रिचार्ज कूपन औरटॉप-अप` कार्ड का अंतर पता नहींहोगा। ऐसे में यदि एजेंसी की खबर सही है तो समाचार चैनलों में बैठेलोगों की सक्रियता पर सिर पीटने को जी करता है, जिन्हें राततक भी अपनी गलती का पता नहीं चला।
समाचार एजेंसियों के मुताबिक ट्राई ने टेलीकॉम ऑपरेटरों से कहा है कि वे उपभो ताआें से 'टॉप-अप` कार्ड पर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर मनमानी वसूली बंद करें। ट्राई ने प्रोसेसिंग फीस की अधिकतम सीमा दो रुपये तय करदी है। इसके अतिरि त उपभो ताआें को सिर्फ १२.५० फीसदी सेवा कर देना होगा। इस निर्देश के बाद ग्राहकों को १५ सितंबर से सिर्फ 'टॉप-अप` कार्ड पर फुल टॉकटाइम मिलेगा।
रिचार्ज कूपन का उपयोग सभी मोबाइल उपभो ताआें को सेवा अवधि (वेलिडिटी) खत्म होने के बाद अनिवार्यरूप से करना पड़ता है। जबकि 'टॉप-अप` कार्ड में सिर्फ टॉकटाइम मिलता है, वेलिडिटी नहीं।बड़ी संख्या में मोबाइलधारकों को 'टॉप-अप` का उपयोग करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसके अलावा कई कंपनियां 'टॉप-अप` कार्ड पर पहले से फुल टॉक टाइम दे रही हैं। कुछ कंपनियां, जो 'टॉप-अप` कार्ड पर भी मनमाने ढंग से प्रोसेसिंग शुल्क वसूल रही थीं, उनके उपभो ताआें को जरूर इससे फायदा होगा।
ट्राई के इस आदेश के बाद भी रिचार्ज कूपनों पर मनमानी वसूली जारी रहेगी। टेलीफोन कंपनियां असल खेल` तो यहीं कर रही हैं। उपभो ताआें को पहले सस्ती काल दरों का प्रलोभन देकर फंसाती हैं फिर रिचार्ज कूपन में कम टॉकटाइम देकर उन्हें चूना लगा देती हैं। ऐसे में उपभो ताआें के लिए तय करनामुश्किल हो जाता है कि किसकंपनी की सेवा उसके लिए सस्ती है। ट्राई को चाहिए कि रिचार्ज कूपन पर भी फुल टॉकटाइम का आदेश जारी करे, ताकि उपभो ताआें को विभिन्न कंपनियों की कॉल दरों मेंअपने लिए बेहतर टैरिफ का चुनाव करने में आसानी ' ' हो।
समाचार एजेंसियों के मुताबिक ट्राई ने टेलीकॉम ऑपरेटरों से कहा है कि वे उपभो ताआें से 'टॉप-अप` कार्ड पर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर मनमानी वसूली बंद करें। ट्राई ने प्रोसेसिंग फीस की अधिकतम सीमा दो रुपये तय करदी है। इसके अतिरि त उपभो ताआें को सिर्फ १२.५० फीसदी सेवा कर देना होगा। इस निर्देश के बाद ग्राहकों को १५ सितंबर से सिर्फ 'टॉप-अप` कार्ड पर फुल टॉकटाइम मिलेगा।
रिचार्ज कूपन का उपयोग सभी मोबाइल उपभो ताआें को सेवा अवधि (वेलिडिटी) खत्म होने के बाद अनिवार्यरूप से करना पड़ता है। जबकि 'टॉप-अप` कार्ड में सिर्फ टॉकटाइम मिलता है, वेलिडिटी नहीं।बड़ी संख्या में मोबाइलधारकों को 'टॉप-अप` का उपयोग करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसके अलावा कई कंपनियां 'टॉप-अप` कार्ड पर पहले से फुल टॉक टाइम दे रही हैं। कुछ कंपनियां, जो 'टॉप-अप` कार्ड पर भी मनमाने ढंग से प्रोसेसिंग शुल्क वसूल रही थीं, उनके उपभो ताआें को जरूर इससे फायदा होगा।
ट्राई के इस आदेश के बाद भी रिचार्ज कूपनों पर मनमानी वसूली जारी रहेगी। टेलीफोन कंपनियां असल खेल` तो यहीं कर रही हैं। उपभो ताआें को पहले सस्ती काल दरों का प्रलोभन देकर फंसाती हैं फिर रिचार्ज कूपन में कम टॉकटाइम देकर उन्हें चूना लगा देती हैं। ऐसे में उपभो ताआें के लिए तय करनामुश्किल हो जाता है कि किसकंपनी की सेवा उसके लिए सस्ती है। ट्राई को चाहिए कि रिचार्ज कूपन पर भी फुल टॉकटाइम का आदेश जारी करे, ताकि उपभो ताआें को विभिन्न कंपनियों की कॉल दरों मेंअपने लिए बेहतर टैरिफ का चुनाव करने में आसानी ' ' हो।
2 comments:
सही ज्ञान वर्धन किया है भाई..
इस अंतर को समझाने के लिए शुक्रिया
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