Wednesday, 3 September 2008

टीवी चैनलों पर ड्रामा ही करते रहेंगे लालू?

'अरे लाउ ने रूपैया... नीतीश फेल कर गया... ये लो पांच सौ रूपैया और बच्चा बोलो लालू जिंदाबाद` एसी कार में बैठकर टीवी चैनलों के कैमरों की रोशनी में किया गया लालू यादव का यह ड्रामा सचमुच हैरान करने वाला था। शुक्र है कि बच्चा भूख से बिलख रहा था, यदि उसका पेट भरा होता तो शायद वही लालू के झकाझक सफेद कुर्त्ते पर 'बदबूदार दाग` लगाकर इस ड्रामे का जवाब दे देता।
कोसी नदी का कहर झेल रहे लाखों लोगों को राहत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात कर पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने बिहार वासियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। बाद में रेलवे स्टेशनों पर राहत शिविर लगवाकर, ट्रेनों से बाढ़ पीड़ितों को मुफ्त सुरक्षित स्थानों तक भिजवा कर और फिर देशभर के रेलकर्मियों से एक दिन का वेतन देने की अपील कर रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने तो देशभर के लोगों के दिलों में जगह बना ली। लेकिन इसके बाद शुरू हुआ एक हारे हुए राजनेता लालू यादव का ड्रामा, जिसपर सिर्फ अफसोस किया जा सकता है। राहत शिविरों में भोजन-पानी, दवा-दारू का बेहतर इंतजाम करवा कर मानवता की सेवा करने की जगह लालू यादव कैमरों के आगे चुनावी चंदा बांट कर गरीबों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रतिक्रिया पूछने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह कहना सही है कि यह ऐसे ड्रामों और सियासी बयानबाजी का जवाब देने का नहीं है, जमीन पर काम करने का है। लालू जी के दिल में यदि तबाह हुए लाखों गरीब लोगों के लिए सचमुच दर्द है तो पार्टी कार्यकर्ताओँ को उनकी मदद में लगाएं। केंद्र से मिली मदद को नेताओँ के संरक्षण में पलने वाले लुटेरों की फौज से बचाएं। मदद के लिए देश भर से करोड़ों हाथ उठ रहे हैं, उठेंगे, लेकिन सभी के मन में एक ही चिंता है... राहत के असली हकदार कहीं उसका इंतजार ही करते रह जाएं।

6 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

rajnitigyo ke baare mai sachchi baat kahi hai apne....
rahat sahi parkaar se bate to bhi kuch ho skta hai...

Udan Tashtari said...

५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.

श्रीकांत पाराशर said...

Bhai, Laluji jaisi soch wale netaon ke kaaran hi rajniti ka bantadhar hua hai. lalu camera ke samne kuchh bhi kar sakte hain.ve lashon par rajniti karne walon men sabse aage hain.

Unknown said...

main to bas itna kahunga
LALU hai bada CHALU
apne sahi NABZ pakdi hai

राजीव उत्तराखंडी said...

रंजन जी तुसी चंगी गल कित्ती। जिस तरह भालू मदारी के डंडे के आगे करतब दिखाने लगता है, ठीक उसी प्रकार लालू भी प्रेस के गन माइक को देखकर फुदकने लगता है। पशुआें का चारा खाने वाले से अपेक्षा भी या की जा सकती है। वह मानवीय संवेदनाआें को या समझेगा। यदि समझ पाता तो आज तक बिहार का शोक कोसी की समस्या का स्थाई निदान हो गया होता।

अमिताभ भूषण"अनहद" said...

Bhai, Laluji ki es drame par bas itna kahna hai.
siyasi log kabhi kisi ka bhla nahi karte.