इस पोस्ट में सबसे पहले मैं हृदय से बधाई देना चाहूंगा उन समाचार चैनलों को जिन्होंने दिल्ली में हुए आतंकी धमाकों की दुखद घड़ी में गृहमंत्री की 'गंभीरता` का खुलासा किया। नेताआें को गिरगिट की तरह रंग बदलते सुना था, लेकिन एक ऐसा नेता जिसमें पार्टी आलाकमान के प्रति वफादारी के अलावा और कोई भी रंग न हो, हर तरह के मसलों से बेपरवाह कपड़े बदलने में जुटा हुआ है। ऐसे में यह शक होने लगता है कि कहीं मंत्री के कपड़े भी धमाकों के खून से सने तो नहीं थे। इस पर यकीन करने को जी तो नहीं करता, लेकिन इतना तो तय है कि देश को खून के और धब्बों से बचाने के लिए ऐसे गृहमंत्री को तुरंत बेशर्मी त्याग कर जिम्मेदारी किसी जिम्मेदार व्यिक्त के हवाले कर देनी चाहिए।
बेशर्मी यहीं खत्म नहीं हो जाती। कांग्रेस के एक प्रवक्ता तो इस 'बफादार मंत्री` के साथ बफादारी निभाने में बेशर्मी की सारी हदें पार करते दिख रहे हैं। यकीन नहीं होता है तो सोमवार को टीवी चैनलों पर दिया उनका यह बयान देखिए- 'ऐसे विकट समय में इस तरह की बातें कर देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है।` यानी यह देश तभी तक स्थिर है, जब तक मंत्री जी पल-पल कपड़े बदलते रहेंगे। जिन टीवी चैनलों और पत्रकारों को हम बधाई दे रहे हैं, प्रवक्ता महोदय के शब्दों में वे देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इन बेशर्मों की जमात के साथ खड़े लालू प्रसाद यादव भी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने कुछ दो टूक तो कुछ इशारों-इशारों में काफी कुछ कह दिया। मंत्रिमंडल की तुरंत बैठक बुलाने और इस गंभीर मसले का ठोस हल निकालने की लालू की मांग सराहनीय है।
'बफादारों` की इस बेशर्मी पर या कहेंगे आप? सवाल देश को खून के और धब्बों से बचाने का है।
बेशर्मी यहीं खत्म नहीं हो जाती। कांग्रेस के एक प्रवक्ता तो इस 'बफादार मंत्री` के साथ बफादारी निभाने में बेशर्मी की सारी हदें पार करते दिख रहे हैं। यकीन नहीं होता है तो सोमवार को टीवी चैनलों पर दिया उनका यह बयान देखिए- 'ऐसे विकट समय में इस तरह की बातें कर देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है।` यानी यह देश तभी तक स्थिर है, जब तक मंत्री जी पल-पल कपड़े बदलते रहेंगे। जिन टीवी चैनलों और पत्रकारों को हम बधाई दे रहे हैं, प्रवक्ता महोदय के शब्दों में वे देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इन बेशर्मों की जमात के साथ खड़े लालू प्रसाद यादव भी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने कुछ दो टूक तो कुछ इशारों-इशारों में काफी कुछ कह दिया। मंत्रिमंडल की तुरंत बैठक बुलाने और इस गंभीर मसले का ठोस हल निकालने की लालू की मांग सराहनीय है।
'बफादारों` की इस बेशर्मी पर या कहेंगे आप? सवाल देश को खून के और धब्बों से बचाने का है।
3 comments:
हालांकि उनके इस्तीफे से कुछ नहीं होने वाला है। कांग्रेस का कार्यकाल खत्म होने वाला है। अगला लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में वह अब तक यदि त्यागपत्र दे दिए होते तो कहा जाता कि सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए उन्होंने ऐसा किया। लेकिन अब जबकि चारों तरफ से उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है तो उन्हें विचार जरूर करना चाहिए।
ऐसे गृहमंत्री को तुरंत बेशर्मी त्याग कर जिम्मेदारी किसी जिम्मेदार व्यिक्त के हवाले कर देनी चाहिए।
मैं मीडिया नारद पर एक बार रोज आता हूँ. अच्छी सामग्री के लिए सभी सदस्यों को बधाई,
रंजन जी, कल सुबह देहरादून से जालंधर के लिए सफर शुरू किया तो इसी खबर पर सबसे पहले नजर पड़ी। सच बताऊं पूरे सफर में मैं इसी के बारे में सोचता रह गया। किसी देश का गृहमंत्री इतना गैरजिम्मेदार हो सकता है। यकीन नहीं आता। गलती इन महाशय की नहीं । उनकी है जिन्होंने लोकसभा चुनाव में हार जाने पर भी इन्हें दिल्ली बुलाकर यह पद सौंपा। हमें लगता था कुछ अनोखी काबिलियत होगी तभी हारने पर भी पद सौंप दिया। पर समझा जा सकता है कि देश के साथ किस तरह खिलवाड़ हो रहा है। ये तो चंद नमूने हैं। कई अनोखे किस्से हैं इन सबके। पर इसी तरह देश चल रहा है। आपकी टिप्पणी अच्छी लगी। देखें कब इस्तीफा लिया जाएगा इन खासमखास से।
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